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व्रत का अर्थ संकल्प खाली पेट इन वस्तुआें का सेवन मुश्किल खड़ी कर व्रत तोडऩे पर मजबूर कर सकता है। बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, जर्दा, पान मसाला, चाय, भंग, अफीम, स्मैक व्रत में व्यवधान डाल सकते हैं।सिर्फ फलाहार ही उपयुक्त है। साध्वी हेमा सरस्वती बताती हैं कि व्रत का अर्थ सिर्फ भूखे प्यासे रहना भर नहीं है। व्रत का अर्थ संकल्प है। कोई भी बुरी आदत व वस्तु को छोडऩे और जीवन में सात्विकता लाकर ईश्वर में ध्यान लगाते कर्म कर जीवन का निर्वाह करना है। व्रत रखने के साथ कोई बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, मदिरा, भंग या अन्य व्यसन करता है तो व्रत को सफल नहीं माना जा सकता। महाशिवपुराण में व्रत व उपवास में सिर्फ फलाहार का उल्लेख मिलता है। Read More: Indian Politics की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्रीः दीनदयाल उपाध्याय के सीने में दफन था भारतीय राजनीति का बड़ा राज सेहत बिगाड़ सकती है लत जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में चिकित्साधिकारी डॉ. युगल किशोर आर्य व रूपनारायण शर्मा बताते हैं कि व्रत का अर्थ संयम है, यह हमारे पाचन तंत्र को आराम देने के लिए होता है, अनावश्यक वस्तुओं का सेवन व्रत को बिगाड़ता है। बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू सरीखे पदार्थों का सेवन किसी भी स्थिति में सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत उपवास में खाली पेट तो यह और भी घातक हो सकता है। बीड़ी सिगरेट के सेवन से आमाशय, श्वास नलिका व ग्रास, मुख में छाले हो जाते हैं। जर्दे में निकोटिन पाया जाता है, जो कैंसर का कारक है। गुटखे में सुपारी को सॉफ्ट बनाने के लिए इसमें एसिड का उपयोग किया जाता है, जो नुकसान दायक है। भंग व अफीम सीधी रक्त में मिल जाती है और शरीर को शिथिल करती है। ये वस्तुएं श्लेष्मा झिल्ली को भी नुकसान पहुचाती है। चाय भी नुकसान दायक है। ज्यादा चाय के सेवन से बार-बार मूत्र की शिकायत होती है और इससे पोटेशियम सरीखे आवश्यक तत्व शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
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