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OMG: राजस्थान के ऐसे 13 गांव जहां मौत के बाद नहीं होता अंतिम संस्कार

राजस्थान के इस जिले में १३गांव ऐसे हैं, जहां मौत के बाद अंतिम संस्कार नहीं होता। वहीं, कई जगह ऐसी भी जहां शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया भी नहीं जा सकता।

कोटाDec 31, 2018 / 01:40 am

​Zuber Khan

OMG: राजस्थान के ऐसे 13 गांव जहां मौत के बाद नहीं होता अंतिम संस्कार

रामगंजमंडी. रामगंजमंडी क्षेत्र के 156 आबाद गांवों में से तेरह गांव ऐसे हैं जहां मुक्तिधाम नहीं हैं और इन गांवों के लोगों को किसी का निधन होने पर निकट के गांव में अंतिम संस्कार के लिए जाना पड़ता है। 143 गांवों में मुक्तिधाम बने हुए हैं लेकिन राजस्व रिकार्ड में इनकी संख्या महज 40 है। 103 गांवों में मुक्तिधाम का कोई रिकार्ड राजस्व विभाग में दर्ज नहीं है। चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि 92 मुक्तिधाम में जाने का रास्ता नहींं है। कई जगह मुक्तिधामों में सुविधाओं के अभाव में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है लेकिन प्रशासन लंबे समय बाद भी लोगों की समस्या का समाधान नहीं ढूंढ पाया है।
 

रामगंजमंडी तहसील क्षेत्र में मुक्तिधाम में पहुंच मार्ग व बिना शेड वाले मुक्तिधाम में दाह संस्कार में आने वाली दिक्कतों का मामला इस साल बारिश के दिनों में उस समय बिशन्याखेड़ी में सामने आया था जब टीनशेड नहीं होने से टायर जलाकर एक मृत्तक का दाह संस्कार करना पड़ा। रीछडिय़ा में मुक्तिधाम स्थल के चारों तरफ पानी का भराव होने से अंतिम संस्कार में आने वाली दिक्कतों का मामला भी सुर्खियों में आया। पिछले दिनों धरनावद गांव में मुक्तिधाम जाने का रास्ता नहीं होने से शव रखकर प्रदर्शन करने जैसे हालात बने। गादिया में मुक्तिधाम का रास्ता नहीं होने से ग्रामीणों को खेत में खड़ी फसल के बीच से शव लेकर जाना पड़ा।
 

नहीं होता राशि का आवंटन

मुक्तिधाम पर सुविधाएं विकसित करने का कार्य ग्राम पंचायत का है, लेकिन सरकार की तरफ से इस मद में कोई राशि नहीं मिलती हालांकि जनसुविधाओं को ध्यान में रखकर ग्राम पंचायत किसी मद में यह कार्य करवा सकती है लेकिन ऐसा हुआ नहीं। तत्कालीन विधायक चन्द्रकांता मेघवाल ने पंचायत समिति के जरिए मुक्तिधाम को खंगालने की कार्यवाही चालू की। पंचायत समिति की तरफ से राजस्व विभाग को पत्र लिखा गया। राजस्व विभाग की रिपोर्ट जब सामने आई तो सारी परतें खुल गई।
 

मुक्तिधाम जाने का रास्ता नहीं

राजस्व विभाग के हल्का पटवारी ने मौके पर जो तथ्यात्मक रिपोर्ट बनवाई उसमें 13 गांव ऐसे पाए गए जिसमें श्मशान नहीं होने से दूसरे गांवों में लोग अंतिम संस्कार करने पहुंचते हैं। 143 गांवों में ग्रामीणों ने श्मशान की जगह पटवारियों को मौके पर बताई लेकिन राजस्व रिकार्ड में 40 गांव में मुक्तिधाम मिले। 103 गांवों में श्मशान का कोई रिकार्ड नहीं मिला तो उसे निजी व सिवाय चक, चरागाह भूमि पर बना हुआ माना गया। रास्ते का भौतिक सत्यापन हुआ तो 76 पर पहुंच मार्ग का रास्ता था। 92 मुक्तिधाम पर रास्ता नहीं मिला। 92 मुक्तिधाम में जाने का रास्ता तलाशने की कवायद हुई तो राजस्व रिकार्ड देखने पर 49 मुक्तिााम में जाने का रास्ता बनाने जैसे हालात दिखे। 43 मुक्तिधाम पर पहुंचने का रास्ता निजी खातेदार की जमीन से होना सामने आया। राजस्व कर्मचारियों ने 143 मुक्तिधाम में 104 मुक्तिधाम मे शेड लगे हुए पाए जिसमें कई जीर्ण-शीर्ण हैं।
 

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