डॉ. अग्रवाल ने एक उदहारण देकर बताया कि रक्तचाप (ब्लप्रेशर) का इलाज एक रुपए में मिलने वाली एम्लोडिपिन और लोसार्टन की गोली से हो सकता है, लेकिन डॉक्टर इसकी जगह 20 रुपए वाली महंगी एजिलसार्टन की गोली लिख देते हैं। जो उन्हें नहीं करना चाहिए।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने हार्ट के मरीजों के स्टेंट की कीमतें तय की है। इसके साथ ही ऑर्थोपेडिक, आई केयर सहित हर बीमारी में एक श्रेणी के इंप्लांट एसेंसियल सूची में शामिल होने चाहिए। साथ ही कहा कि सामान्य जांचें भी सस्ती होनी चाहिए। इनकी भी दरें तय हों। आईएमए ने पूरी इंडस्ट्री के विरोध के बावजूद दरें तय करने का समर्थन करती है। हमने इसके लिए पीएम को भी पत्र लिखा है।
समाज ने दिया डॉक्टर नाम डॉ. अग्रवाल ने कहा कि समाज ने ही चिकित्सकों को अलग करने के लिए उनके आगे डॉक्टर लिखना शुरू किया है। ताकि वे विपदा के समय काम आए और मरीज को जिंदा रखने का प्रयास करें। ऐसा नहीं करने पर समाज यह नाम वापस ले लेगा।
हर डेथ की ऑडिट हो डॉ. अग्रवाल ने कहा कि डॉक्टरों की ड्यूटी बनती है कि व्यक्ति को मरने नहीं दिया जाए। अस्पताल में उपचार के दौरान हर व्यक्ति की मौत की ‘डेथ ऑडिट’ होनी चाहिए। ताकि व्यक्ति के मरने के कारण जान सकें और दूसरे के उपचार में मदद मिल सके। आईएमए का डॉक्टर दवा कमीशन और भ्रूण लिंग जांच करता पाया तो उसको संगठन से निकाल देते हैं। साफ सुथरा मेडिकल समाज चाहिए।