कोटा

Dussehra Mela 2022: भूखण्डों की नीलामी हुए बिना ही झूले वालों ने किया कब्जा

Dussehra Mela 2022: राष्ट्रीय दशहरा मेला ग्राउण्ड में झूला मार्केट में 7 भूखण्डों का आवंटन नीलामी प्रक्रिया से किया जाता है। अभी इन भूखण्डों की नीलामी प्रक्रिया तक शुरू नहीं हुई, उससे पहले ही झूला संचालक ने भूखण्ड पर झूले का सामान रख कब्जा जमा लिया और अब झूला खड़ा करने की तैयारी की जा रही है।

कोटाSep 24, 2022 / 11:56 am

Haboo Lal Sharma

भूखण्डों की नीलामी हुए बिना ही झूले वालों ने किया कब्जा

Dussehra Mela 2022: राष्ट्रीय दशहरा मेले में टेंट के टेंडर का मामला अभी सुलझा भी नहीं, कि नगर निगम की ओर से अपने चहेतों को उपकृत करने का दूसरा मामला फिर सामने आ गया। मेला ग्राउण्ड में झूला मार्केट में 7 भूखण्डों का आवंटन नीलामी प्रक्रिया से किया जाता है। अभी इन भूखण्डों की नीलामी प्रक्रिया तक शुरू नहीं हुई, उससे पहले ही झूला संचालक ने भूखण्ड पर झूले का सामान रख कब्जा जमा लिया और अब झूला खड़ा करने की तैयारी की जा रही है। यानी झूला संचालक को पहले से ही पता है कि यह भूखण्ड उसे ही मिलने वाला है। जबकि पिछले वर्षों में यह होता आया है कि भूखण्ड आवंटन के बाद ही मेला परिसर में सामान खाली होता था।
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झूला संचालकों ने बताया कि वर्ष 2019 में इन 7 भूखण्डों की अलग-अलग बोली में नीलामी 2.50 लाख से 3.50 लाख रुपए तक में हुई थी। नीलामी छूटने पर संचालक को 10 प्रतिशत राशि एडवांस जमा करानी होती है। कई संचालकों ने तो अभी तक बकाया राशि जमा नहीं कराई। झूला संचालकों ने बताया कि यह सब मेला समिति व राजस्व समिति की मिलीभगत से हो रहा है। बकायादार संचालक अगले वर्ष दूसरे नाम से बोली लगा लेते हैं। ऐसे में पिछला बकाया भी जमा नहीं करवाना पड़ता।
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पिछला बकाया चल रहा फिर लगाएंगे झूला
वर्ष 2019 में सात झूला संचालकों के सात भूखण्ड नीलामी से आवंटित किए गए थे, इनमें से तीन झूला संचालकों ने बोली छूटने के समय 10 प्रतिशत राशि जमा करवाई और मेला समाप्ति के बाद बकाया राशि जमा कराए बिना ही चले गए। इस बार भी यह झूला संचालक नीलामी प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं।
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राजस्व समिति के किसी निर्णय का पता नहीं
राजस्व समिति चेयरमैन गफ्फार हुसैन ने बताया कि हर बार मेला समिति में राजस्व चेयरमैन को सदस्य बनाया जाता था, लेकिन इस बार राजस्व समिति, गैराज समिति, आपदा प्रबंधन समिति, विद्युत समिति, वित्त समिति, जल वितरण समिति, सफाई समिति, प्रचार प्रसार समिति सहित अन्य समितियों के अध्यक्षों को इस बार मेला समिति में शामिल नहीं कर किनारे पर खड़ा कर दिया। अभी तक जितनी भी मेले समिति की बैठक हुई, इन समितियों के अध्यक्षों को नहीं बुलाया गया। ऐसा क्यों किया यह तो जनप्रतिनिधि व निगम अधिकारी ही जानें, जबकि राजस्व समिति का काम मेले में सभी दुकानों के आवंटन सहित राशि वसूलने का होता है।

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