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ईएमटी अशोक कुमार ने बताया कि उस समय महिला की काफी क्रिटीकल स्थिति थी। लेबनपेन काफी बाहर आ रहा था। घबराहट हो रही थी। बच्चे के पैर बाहर आ गए थे। बच्चा बार-बार मूवमेंट कर रहा था, तभी उन्होंने उसे देखा और एम्बुलेंस को चौराहे पर ही सड़क के साइट पर खड़ा कर प्रसव करवाया। इसी प्रक्रिया में करीब 40 मिनट लगे। जज्जा-बच्चा स्वस्थ्य है। उन्हें जेके लोन अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां दोनों को भर्ती कराया। हरकी बाई चार साल से छावनी रामचन्द्रपुरा रहते है। वह दिहाड़ी मजदूरी करते है। अशोक ने बताया कि उन्हें चार साल का नर्सिंग प्रशिक्षण दिया जाता है। क्रिटिकल स्थिति में वे प्रसव करवा सकते है। चार साल के इतिहास में यह प्रसव काफी किटिकल था। ईश्वर के आशीर्वाद से सबकुछ ठीक हो गया।
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