कोटा

राजस्थान में जापानी इनसेफेलाइटिस वायरस का हमला, एक की मौत, चिकित्सा विभाग में मचा हड़कंप

डेंगू, स्क्रब टायफस और स्वाइन फ्लू के बाद अब जापानी इनसेफेलाइटिस वायरस ने जानलेवा हमला शुरू कर दिया है। जिससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।

कोटाNov 12, 2017 / 10:26 am

​Vineet singh

BJP MLA protest against Padmavati film

डेंगू, स्क्रब टायफस और स्वाइन फ्लू के कहर बरपाने के बाद अब हाड़ौती में जापानी इनसेफेलाइटिस वायरस ने भी जानलेवा दस्तक दे दी है। इस वायरस की जद में आकर बूंदी निवासी महिला की मौत हो गई। चौंकाने वाली बात यह रही कि महिला की मौत के 25 दिन बाद जब नेशनल इंस्टीट्यूट पूणे से उसकी मेडिकल रिपोर्ट आई तब जाकर इस वायरस के हमले का खुलासा हुआ। चिकित्सा विभाग में इस बीमारी को लेकर खासा हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि यहां इसे डाइग्नोज करने के इंतजाम ही नहीं है।
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कोटा में नहीं हैं जांच का भी इंतजाम

राजस्थान में जापानी इनसेफेलाइटिस वायरस (मस्तिष्क ज्वर) ने दस्तक दी है। इसकी दस्तक के साथ ही चिकित्सा विभाग में हड़कम्प मच गया है। विभाग के अधिकारी पता लगाने में जुटे हैं कि यह वायरस कहां से आया। पिछले दिनों बूंदी जिले के केशवरायपाटन निवासी 30 वर्षीय मंजू पत्नी बृजेश पांचाल की इस वायरस के कारण मौत हुई थी। चिकित्सा विभाग ने महिला के सिरम (रक्त का नमूना) को जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट पुणे भेजा था। जांच में जापानी इनसेफेलाइटिस वायरस व एलाइजा पॉजीटिव आया है।
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सामान्य बुखार के बाद कोमा में गई

मृतका मंजू के पति परसराम ने बताया कि 6 अक्टूबर को मंजू को साधारण बुखार आया। केशवरायपाटन अस्पताल में दिखाया, लेकिन तबीयत में सुधार नहीं हुआ। 8 अक्टूबर को कोटा के न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया। यहां एक-दो दिन भर्ती रहने के बाद मंजू कोमा में चली गई। इस पर उसे तलवंडी स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया। यहां न्यूरो सर्जन डॉ. अमित देव ने उपचार किया। मामला क्रिटिकल लगने पर सिरम एमबीएस अस्पताल की सेन्ट्रल लैब से जांच के लिए पुणे भिजवाया गया। इसी बीच स्थिति में सुधार नहीं होने पर एमबीएस रैफर कर दिया। यहां 31 अक्टूबर को उसकी मौत हो गई।
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दवा नहीं सिर्फ टीका मौजूद

न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के सीनियर फिजिशियन डॉ. मनोज सलूजा बताते हैं कि जापानी इनसेफेलाइटिस वायरस दिमागी बुखार है, जो वायरल संक्रमण से होता है। यह एक खास किस्म के वायरस से होता है, जो मच्छर या पिग से फैलता है। इस बीमारी का मुख्य वाहक पिग है। ज्यादातर 1 से 14 साल के बच्चे एवं 65 वर्ष से ऊपर के लोग इसकी चपेट में आते हैं। इस जानलेवा बीमारी का शिकार अधिकतर बच्चे ही होते हैं। यह क्यू लैक्स मच्छर के काटने से फैलता है। इसके लिए एंटी वायरल दवा मौजूद नहीं है, टीके मौजूद हैं।
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नहीं गए बाहर, फिर भी आए बीमारी की चपेट में

परसराम ने बताया कि वह टैक्सी चालक है। पत्नी मंजू गृहिणी थी। घर पर सिलाई करती थी। पिछले एक साल से वो बाहर भी नहीं गए थे। आस-पास भी एेसा कोई व्यक्ति नहीं जो राजस्थान के बाहर से आया हो। इसके बाद भी उसकी पत्नी चपेट में आ गई। जबकि इस वायरह का सबसे ज्यादा प्रकोप उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हर साल देखने को मिलता है। हाल में ही 50 से ज्यादा बच्चों की एक ही दिन में मौत हो चुकी है। जापानी इनसेफेलाइटिस का प्रकोप साल के तीन माह अगस्त, सितम्बर व अक्टूबर में रहता है।
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ये हैं लक्षण

न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के सीनियर फिजिशियन डॉ. मनोज सलूजा ने बताया कि इस बीमारी में पहले सामान्य बुखार आता है, फिर बदन व जोड़ों में दर्द। शरीर में जकडऩ होना। चक्कर व बेहोशी आना। उल्टियां व मिर्गी का दौरे आते हैं और बाद में मस्तिष्क में बुखार चढऩा व नसों में सूजन आने लगती है।

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