सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता के कोटा पहुंचने पर लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया। कोटा हवाई अड्डे पर उनका स्वागत करने के लिए माता-पिता और परिजनों के साथ-साथ कोटा के लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे। शहर के विभिन्न संगठनों और गणमान्य नागरिकों ने चेतन चीता का एयरपोर्ट पर जोरदार स्वागत किया। लोगों ने उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया और भारत माता के जयघोष से आसमान गूंज उठा।हवाई अड्डे पर चेतन के मां सुभद्रा चीता, पिता राम गोपाल चीता, चाचा कुंदन चीता, पूर्व जिला प्रमुख कमला मीणा पूर्व न्यास अध्यक्ष आर डी मीणा, कांग्रेस की पूर्व जिलाध्यक्ष रुकमणी मीणा, किसान नेता दशरथ सिंह, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ गिरीश वर्मा समेत तमाम लोग मौजूद रहे।
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बोले- पुकार रहा है मेरा कर्म कोटा एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सीआरपीएएफ कमांडेंट चेतन चीता ने फिर से बॉर्डर पर जाने की ख्वाहिश जताई। जब उनसे पूछा गया कि वह फिर से लड़ना चाहते हैं तो जोरदार ठहाका लगाते हुए बोले- ‘ये तो मेरा कर्म है और मैं अपने कर्म से तब तक पीछे नहीं हट सकता, जब तक मेरे शरीर में खून का एक भी कतरा बाकी है।’ चीता ने कहा कि वह जल्द से जल्द स्वस्थ होकर अपनी बटालियन को ज्वाइन करेंगे और कश्मीर जाकर एक बार फिर दुश्मनों के हौसले पस्त करेंगे।
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शुक्रिया कोटा आपकी दुआओं से ही जिंदा हूं कोटा पहुंच कर सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन कुमार चीता ने उनकी जिंदगी की दुआएं करने वाले कोटा ही नहीं पूरी देश के लोगों का आभार जताया। चीता ने कहा कि दुआओं का ही असर है जो 40 दिन कोमा में रहने के बाद मेरी जान बच गई। उन्होंने कहा कि कोटा हमेशा ही मेरे दिल में बसता है। यहीं खेला, पढ़ा और जवान हुआ हूं। इसलिए इस शहर से मेरा लगाव कभी खत्म नहीं हो सकता। यह लगाव उस वक्त और बढ़ गया जब पता चला कि मैं जब तक हॉस्पिटल में रहा यहां के लोग मेरे जीने की दुआ करते रहे। इस कर्ज को में कभी उतार नहीं सकूंगा।