जिंदगी की जंग जीत घर लौटेंगे सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता, स्वागत को उतावला हुआ कोटा
शरीर गोलियों से छलनी, फिर भी लड़ता रहा हमारा जांबाज सर्च ऑपरेशन खत्म होने के बाद जब साथियों ने अपने जांबाज कमांडर की तलाश की तो पता चला कि खून से लथपथ पड़े हैं। सेना के जवान उन्हें तत्काल आर्मी बेस हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, लेकिन वहां इलाज संभव न होने पर आनन-फानन में एयर एम्बुलेंस से दिल्ली स्थित एम्स के ट्रोमा सेंटर में लाया गया। ऑपरेशन के बाद डॉक्टर उनके पेट में लगी छह गोलियां निकाली, लेकिन बाकी हिस्सों में लगी गोलियां निकाले में पूरा एक महीना लगा।
मंगल चला तुला के घर, खुलेगी इन 5 राशि वालों की किस्मत, संभाल कर रखिए अपना मन
सीआरपीएफ महानिदेशक ने बताया पहला हेल्थ बुलेटिन सीआरपीएफ के महानिदेशक के. दुर्गाप्रसाद ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि आतंकियों ने गोलियां और ग्रेनेड दागे, जिससे उनके हाथ, पैर, कूल्हे और पेट में कई गोलियां जा धसीं। एक गोली से जाबांज जवान की दाई आंख भी छलनी हो गई। इसी बीच आतंकियों के फेंके एक ग्रेनेड में धमाका होने से चीता के दोनों हाथों में भी फैक्चर हो गया और सिर एवं चेहरे में छर्रे जा धंसे। घायल होने के बाद भी उन्होंने 16 राउंड गोलियां चलाई थीं।
अन्नदाता के आंसूः जब आप घोड़े बेचकर सो रहे होते हैं, पूरी रात जाग कर काटता है किसान का परिवार
20 दिन पहले मारा था लखवी का भांजा इस एनकाउंटर से तीन महीने पहले ही चीता की तैनाती कश्मीर में हुई थी, लेकिन वह आतंकवादियों के बीच दहशत का पर्याय बन गए थे। 20 जनवरी को भी बांदीपोर इलाके में आतंकियों से उनकी मुठभेड़ में उन्होंने जाकिर उर रहमान लखवी के भांजे और लश्कर कमांडर अबू मुसैब को मार गिराया था। बेटे की बहादुरी का किस्सा सुन पिता का सीना भी गर्व से फूल गया था। कोटा के खेड़ली फाटक निवासी पूर्व आरएएस अफसर रामगोपाल चीता फालेज होने के कारण चल फिर नहीं सकते, लेकिन बेटे की बहादुरी का किस्सा सुन दो साल बाद बिस्तर से उठ बैठे और बोले कि मुझे अपने बेटे पर नाज है।