चम्बल नदी में पानी के सुल्तान (मगरमच्छ) को अपनी सल्तनत में इंसानी दखल बर्दाश्त नहीं हुई और मगरमच्छ ने मछली का शिकार करने आए एक जने को अपना शिकार बना लिया। मामला गुरुवार रात का है। मृतक का क्षत-विक्षत शव शुक्रवार दोपहर नदी किनारे मिला। पुलिस उप अधीक्षक राजाराम मीणा ने बताया कि राणा प्रताप सागर बांध की डाउन स्ट्रीम में मुक्तिधाम के पीछे चामले क्षेत्र में गुरुवार रात ट्रक के टायर की ट्यूब पर बैठकर मछली पकड़ रहे तेंदुआ बस्ती निवासी रमेश कहार (45) पर मगरमच्छ ने हमला कर दिया। उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
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कोटा में दो को निगल चुके मगरमच्छवर्ष 2002 में जगन्नाथपुरा गांव के पास मंडानिया गांव निवासी उनके भांजे त्रिलोक नागर (10) को मगरमच्छ खींचकर चंद्रलोई नदी में ले गया था। उसका शव तीन दिन बाद मिला था। इसी प्रकार से कोटा के निकट अजुज़्नपुरा गांव में भी वर्ष 2007 में बजरंगलाल प्रजापति (50) को मगरमच्छ खींचकर नदी में ले गया था। बाद में उसका शव मिला था।
खेतों में डेरा कोटा के रायपुरा गांव के पास से नाले में दर्जनों मगरमच्छ हैं, जो खेतों में आ जाते हैं।
रमेश ट्यूब पर बैठकर पैरों के सहारे आगे बढ़ रहा था, तभी मगरमच्छ ने हमला कर उसके पांव को जकड़ लिया और नदी में खींचकर ले गया।
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और खींच ले गयारमेश ट्यूब पर बैठकर पैरों के सहारे आगे बढ़ रहा था, तभी मगरमच्छ ने हमला कर उसके पांव को जकड़ लिया और नदी में खींचकर ले गया।
कई हिस्सों में काटा : परिजन व बस्तीवासी उसे तलाश करते हुए नदी तक पहुंचे तो उन्हें उथले पानी में फटी हुई ट्यूब दिखी। इस पर उन्होंने रमेश की तलाश शुरू की तो उसका शव मिल गया। उसकी पहचान कपड़ों से हुई। मृतक के पांव, सिर समेत शरीर के कई हिस्सों को मगरमच्छ ने खा रखा था। रावतभाटा समेत कोटा में नदी व नालों में मगरमच्छों का आंतक बढ़ता जा रहा है। इनसे लोगों की सुरक्षा तो दूर चेतावनी तक के लिए प्रशासन की ओर से कोई प्रयास नहीं हुए।