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जब यही नहीं पता कि कहां कितने पोइंट चाहिए, तो कैसे होगा निर्माण पहले कतार लगती थी अब गिनती के ट्रक हैं बूंदी रोड पर बजरी से भरे ट्रकों की पहले दो-तीन किमी कतार लग जाती थी, अब यहां गिनती के ट्रक खड़े रहते हैं। पिछले तीन दिन से टोंक जिले की बनास नदी से बजरी नहीं आ रही। जिन लोगों ने बजरी का स्टॉक कर रखा था, वह अब मनमाने दाम वसूल कर रहे हैं। शहर में न्यास, निगम, सार्वजनिक निर्माण विभाग के करीब एक हजार करोड़ के विकास कार्य चल रहे हैं। बजरी की आपूर्ति नहीं होने से काम बंद हो गए, श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं। जिन ठेकेदारों के पास स्टॉक में बजरी है, वही काम कर रहे हैं। यह भी पढ़ें
पाइप लाइन बिछाने के लिए सड़कों का कर दिया सत्यानाश 700 ट्रक की आवक, अवैध खनन बढ़ा कोटा जिले में बनास से प्रतिदिन सात सौ ट्रक बजरी की आवक होती थी। इसमें चार सौ ट्रक कोटा शहर में खपते हैं। अब आवक नहीं होने से भवन निर्माता परेशान हैं। मकानों का काम बंद होने लगा है। लोग बजरी के लिए चक्कर लगा रहे हैं। बजरी खनन पर रोक के बाद अवैध रूप से खनन बढ़ गया है। शहर में अब रात में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में काली रेत आने लगी है। काली रेत पहले दो हजार रुपए प्रति ट्रॉली आती थी, अब पांच हजार रुपए हो गई है। यह भी पढ़ें
कोड में लिखी है रकम और कच्ची पर्चियां खोलेंगी पत्थर कारोबारियों राज मकानों के काम भी अटके हैं नगर विकास न्यास कॉन्ट्रेक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नंदकुमार मेहता ने कहा कि बजरी नहीं आने से ज्यादातर काम ठप हो गए हैं। एक-दो दिन में समाधान नहीं हुआ तो न्यास को लिखकर देंगे कि समय पर प्रोजेक्ट पूरे नहीं कर सकेंगे। नगर निगम कान्ट्रेक्टर एसोसिएशन अध्यक्ष राजेन्द्र जैन ने बताया कि बजरी संकट के कारण शहर में चल रहे नगर निगम, यूआईटी व पीडब्ल्यूडी के एक हजार रुपए के विकास कार्य बंद हो गए हैं। बजरी नहीं आ रही, कहां से निर्माण कार्य करें। बिल्डर्स मनोज जैन आदिनाथ ने कहा कि बजरी के कारण शहर में चल रहे मकानों के काम भी थम गए। भवन निर्माण करने वाले परेशान हैं। रविवार को उनको एक मकान पर छत डालनी थी, लेकिन दो दिन से बजरी नहीं मिल रही। कुछ ट्रक आ रहे हैं, लेकिन वह इतने दाम मांगते हैं कि पड़ता नहीं बैठता।