नगर निगम की ओर से आवारा मवेशियों की समस्या से निजात दिलाने के लिए शहर के आस-पास ही एक और गोशाला खोलना प्रस्तावित है, लेकिन अभी तक जमीन तय नहीं हो पाई है। इस कारण गोशाला निर्माण के लिए हाल ही जारी किए गए 15 करोड़ के टेण्डर की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।
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कोटा की बेटी अरूंधती ने अब सर्बिया में बिखेरी स्वर्ण की चमक, फिर से किया भारत का सीना चौड़ा पिछले दिनों जिला कलक्टर की अध्यक्षता में निगम और न्यास की संयुक्त बैठक में नई गोशाला के लिए जमीन पर चर्चा हुई थी। तय हुआ था कि न्यास गोशाला के लिए नि:शुल्क जमीन देगा। न्यास ने खड़े गणेशजी मंदिर के पास जगह देने पर सहमति दे दी थी, लेकिन महापौर और गोशाला समिति अध्यक्ष ने अधिकारियों ने साथ जमीन का मौका मुआयजना किया तो पाया कि इस जमीन पर लोगों के कब्जे हैं। अवैध कब्जे हटाना बहुत चुनौतीपूर्ण है। अतिक्रमण को देखते हुए निगम ने यह जगह लेने से मना कर दिया। निगम की ओर से उम्मेदगंज की जगह गोशाला के लिए मांगी गई है, लेकिन न्यास तैयार नहीं है। इस कारण नई गोशाला बनाने का काम फिलहाल खटाई में पड़ता दिख रहा है। न्यास प्रशासन ने कहा कि निगम के अधिकारी सिर्फ बातें करते हैं, हम तो गोशाला के लिए जमीन देने के लिए तैयार हैं।
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उम्मेदगंज की जमीन को उपयुक्त माना
महापौर और गोशाला समिति अध्यक्ष ने पिछले दिनों उम्मेदगंज की जमीन को गोशाला के लिए उपयुक्त माना। यह जमीन लोगों की पहुंच में है, ताकि समाजसेवी यहां गोवंश को चारा डालने के लिए आसानी से पहुंच सकें। नहरी क्षेत्र में जमीन होने के कारण पानी की कोई कमी नहीं रहेगी। यहां निगम की करीब 15 बीघा जमीन है। शेष जमीन न्यास की है।
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अध्यक्ष गोशाला समिति पवन अग्रवाल का कहना है कि उम्मेदगंज की जमीन गोशाला के लिए उपयुक्त है। निगम प्रशासन और जिला प्रशासन को यह जमीन आवंटित करवाने के लिए प्रयास करने चाहिए। गोशाला का निर्माण जल्द होना चाहिए। न्यास अध्यक्ष रामकुमार मेहता का कहना है कि निगम की ओर से गोशाला के लिए जमीन का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। प्रस्ताव को निगम को ही भेजना होगा। हम तो सकारात्मक सोच के साथ गोशाला बनाने के पक्ष में है।