शहर में इस वक्त 900 करोड़ रुपए से ज्यादा के विकास कार्य चल रहे हैं। निगम चुनावों की अधिसूचना जारी होने से ठीक पहले ही इन कामों ने रफ्तार पकड़ी थी, जिसे पूरा कराने के लिए लेबर कांट्रेक्टर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के दूर दराज इलाकों से सस्ते श्रमिक तो ले आए, लेकिन लॉकडाउन ने सारे काम बीच में ही रुकवा दिए। लॉक डाउन से लेबर कांट्रेक्टर हड़बड़ा गए। लॉक डाउन लंबा खिंचने की आशंका और बिना काम मजदूरों को भुगतान करने से डरकर ठेकेदार मोबाइल बंद कर बैठे हैं। चूंकि श्रमिकों का भुगतान नहीं हुआ है। ऐसे में मजदूर कोटा में फंसे हुए हैं।
प्रशासन खिला रहा खाना : कुछ लोगों ने श्रमिकों की बदहाली की खबर जिला रसद अधिकारी मोहम्मद ताहिर को सोशल मीडिया के जरिए दी, जिसके बाद प्रशासन सक्रिय हुआ और स्थानीय युवाओं की मदद से इन श्रमिकों तक खाना पहुंचाया गया। फिलहाल इसी ग्रुप से जुड़े लोग इन लोगों के दोनों वक्त के खाने पीने का इंतजाम कर रहे हैं। हालांकि छावनी और डीसीएम इलाके के परिवार अपने घरों की ओर पलायन करने लगे हैं।
प्रशासन खिला रहा खाना : कुछ लोगों ने श्रमिकों की बदहाली की खबर जिला रसद अधिकारी मोहम्मद ताहिर को सोशल मीडिया के जरिए दी, जिसके बाद प्रशासन सक्रिय हुआ और स्थानीय युवाओं की मदद से इन श्रमिकों तक खाना पहुंचाया गया। फिलहाल इसी ग्रुप से जुड़े लोग इन लोगों के दोनों वक्त के खाने पीने का इंतजाम कर रहे हैं। हालांकि छावनी और डीसीएम इलाके के परिवार अपने घरों की ओर पलायन करने लगे हैं।
corona live update : डिब्बे बनेंगे आइसोलेट वार्ड, आरपीएफ बैरक भी बन रहा अस्पताल मझधार में छोड़ गए
स्टेशन पार इलाके में सीवर लाइन डालने के लिए पेटी कांट्रेक्टर गोरखपुर से करीब 40 मजदूरों को कोटा लाया था। लॉक डाउन के बाद ठेकेदार चार लोगों को साथ लेकर कोटा से निकल गया। वहीं फ्लाईओवर और सड़क निर्माण में जुटे ठेकेदार मालवा और बुंदेलखंड के करीब 42 मजदूर कोटा लेकर आए थे। जनता कफ्र्यू के दौरान ठेकेदार इन्हें छह सात दिन का खर्चा देकर चला गया। अब ठेकेदारों ने मोबाइल ही बंद कर लिया।
स्टेशन पार इलाके में सीवर लाइन डालने के लिए पेटी कांट्रेक्टर गोरखपुर से करीब 40 मजदूरों को कोटा लाया था। लॉक डाउन के बाद ठेकेदार चार लोगों को साथ लेकर कोटा से निकल गया। वहीं फ्लाईओवर और सड़क निर्माण में जुटे ठेकेदार मालवा और बुंदेलखंड के करीब 42 मजदूर कोटा लेकर आए थे। जनता कफ्र्यू के दौरान ठेकेदार इन्हें छह सात दिन का खर्चा देकर चला गया। अब ठेकेदारों ने मोबाइल ही बंद कर लिया।