डॉ. सक्सेना ने बताया कि सभी मरीजों का डेटा अस्पताल में उपलब्ध है। सभी मरीजों की हिस्ट्री को तलाशा जाएगा व एक-एक मरीज से सम्पर्क कर उसकी टे्रवल हिस्टी के साथ सम्पर्क में आने वालों की जांच की जाएगी। इन 25 मरीजों में कितने ठीक हुए और क्या परेशानी रही, क्या टीट्रमेंट दिया गया? सहित कई पहलुओं पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
अप्रेल व मई था सबसे भारी
कोरोना काल में अप्रेल व मई सबसे भारी था। अप्रेल में 20 हजार 257 मरीज पॉजिटिव मिले थे। सरकारी रिपोर्ट में 111 मरीजों की मौत हुई थी। जबकि कोविड अस्पताल में 200 मौतें हुई थी। संक्रमण की दर 19.9 प्रतिशत थी। इन दो माह में 70 फीसदी लोग संक्रमित हुए थे। उस समय शहर के सभी अस्पताल मरीजों से हाउसफुल हो गए थे। किसी भी अस्पताल में ऑक्सीजन बेड खाली नहीं था। पहली बार मेडिकल कॉलेज प्रशासन को मरीजों के लिए अस्पताल के द्वार बंद करने पड़े थे। निजी अस्पतालों में भी मरीजों के लिए जगह नहीं बची थी। कई मरीजों ने घरों पर ही रहकर उपचार करवाना पड़ा था। चिकित्सा व्यवस्था फर्श पर आ गई थी। सबसे बड़ी संख्या ऑक्सीजन की कमी सामने आई थी। रेमडेसिविर इंजेक्शन खत्म हो चुके थे। जांचों का काम भी फेल हो गया था।
कोरोना काल में अप्रेल व मई सबसे भारी था। अप्रेल में 20 हजार 257 मरीज पॉजिटिव मिले थे। सरकारी रिपोर्ट में 111 मरीजों की मौत हुई थी। जबकि कोविड अस्पताल में 200 मौतें हुई थी। संक्रमण की दर 19.9 प्रतिशत थी। इन दो माह में 70 फीसदी लोग संक्रमित हुए थे। उस समय शहर के सभी अस्पताल मरीजों से हाउसफुल हो गए थे। किसी भी अस्पताल में ऑक्सीजन बेड खाली नहीं था। पहली बार मेडिकल कॉलेज प्रशासन को मरीजों के लिए अस्पताल के द्वार बंद करने पड़े थे। निजी अस्पतालों में भी मरीजों के लिए जगह नहीं बची थी। कई मरीजों ने घरों पर ही रहकर उपचार करवाना पड़ा था। चिकित्सा व्यवस्था फर्श पर आ गई थी। सबसे बड़ी संख्या ऑक्सीजन की कमी सामने आई थी। रेमडेसिविर इंजेक्शन खत्म हो चुके थे। जांचों का काम भी फेल हो गया था।
मेडिकल कॉलेज से रिकॉर्ड एकत्रित कर सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा और रिपोर्ट तैयार की जाएगी। एक बार रिपोर्ट की स्टडी करने के बाद ही आगे की रूपरेखा तय की जाएगी।
डॉ. भूपेन्द्र सिंह तंवर, सीएमएचओ, कोटा
डॉ. भूपेन्द्र सिंह तंवर, सीएमएचओ, कोटा
एक्सपर्ट व्यू: यह वेरिएंट अधिक संक्रामक
डेल्टा वेरिएंट के विरुद्ध वैक्सीन के संबंध में पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं है। यूरोप में डेल्टा वेरिएंट के कारण अस्पताल में भर्ती की दर में अप्रत्याशित वृद्धि पाई गई। यह वेरिएंट अधिक संक्रामक है। यह महामारी की नई तीसरी लहर को जन्म दे सकता है। इसके लक्षण पूर्ववर्ती स्ट्रेन से भिन्न है। जिसमें जुकाम व नाक का बहना नहीं पाया जाता। सूंघने की क्षमता खोना नहीं पाया जाता है। ऐसे में इसकी पहचान मुश्किल होगी। इसी सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। सरकार के स्तर पर अधिक से अधिक जिनोम सिक्वेसिंग करें। इससे ज्यादा से ज्यादा वेरिएंट की पहचान की जा सके। मरीज को आइसोलेट व ट्रेक करना गंभीरता से लागू की जाए।
– डॉ. मनोज सलूजा, आचार्य, मेडिसिन विभाग, कोटा मेडिकल कॉलेज कोटा
डेल्टा वेरिएंट के विरुद्ध वैक्सीन के संबंध में पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं है। यूरोप में डेल्टा वेरिएंट के कारण अस्पताल में भर्ती की दर में अप्रत्याशित वृद्धि पाई गई। यह वेरिएंट अधिक संक्रामक है। यह महामारी की नई तीसरी लहर को जन्म दे सकता है। इसके लक्षण पूर्ववर्ती स्ट्रेन से भिन्न है। जिसमें जुकाम व नाक का बहना नहीं पाया जाता। सूंघने की क्षमता खोना नहीं पाया जाता है। ऐसे में इसकी पहचान मुश्किल होगी। इसी सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। सरकार के स्तर पर अधिक से अधिक जिनोम सिक्वेसिंग करें। इससे ज्यादा से ज्यादा वेरिएंट की पहचान की जा सके। मरीज को आइसोलेट व ट्रेक करना गंभीरता से लागू की जाए।
– डॉ. मनोज सलूजा, आचार्य, मेडिसिन विभाग, कोटा मेडिकल कॉलेज कोटा