कोटा

सरकार ने नहीं सुनी तो गांव वालों ने ही बना डाली 110 फीट लम्बी पुलिया

कुरेल नदी पर बिना किसी सरकारी मदद के ग्रामीणों द्वारा बनाई जा रही पुलिया का निर्माण अंतिम चरण में है। बूंदी पंचायत समिति के रिहाणा पंचायत के छावनी बोरदा गांव के ग्रामीणों की ओर से नदी पार खेतों एवं बोरदा माताजी के मंदिर तक आने जाने के लिए के समीप कुरेल नदी पर चंदा एकत्रित कर पुलिया का निर्माण शुरू किया।

कोटाJun 11, 2023 / 02:31 pm

Kirti Verma

पुल का निर्माण करते हुए ग्रामीण।

केशवरायपाटन . कुरेल नदी पर बिना किसी सरकारी मदद के ग्रामीणों द्वारा बनाई जा रही पुलिया का निर्माण अंतिम चरण में है। बूंदी पंचायत समिति के रिहाणा पंचायत के छावनी बोरदा गांव के ग्रामीणों की ओर से नदी पार खेतों एवं बोरदा माताजी के मंदिर तक आने जाने के लिए के समीप कुरेल नदी पर चंदा एकत्रित कर पुलिया का निर्माण शुरू किया। ग्रामीणों ने अपने खर्चे पर बिना कारीगर और बिना रेत एवं सीमेन्ट का उपयोग किए प्राचीन तकनीक से पत्थर की बडी-बड़ी शिलाओं से पुलिया का निर्माण कार्य अंतिम चरण में चल रहा है । ग्रामीणों ने बताया कि रविवार तक निर्माण पूरा हो जाएगा। ग्रामीणों के अनुसार बुधवार शाम तक 8 मोखों की सहायता से 110 फीट लम्बी एवं 12 फीट चौड़ाई की इस पुलिया बनाई गई है। ग्रामीणों ने बताया कि दशकों पुरानी मांग पूरी होने से गांव में उत्सव का माहौल बना हुआ है। पुलिया निर्माण को लेकर सभी ग्रामीणों, महिलाओं एवं बच्चों में उत्सुकता है। ग्रामीण सुबह 9 बजे से ही नदी पर पहुंच जाते है एवं क्रेन की सहायता से बडे बडे पत्थर( शिलाओं) की सहायता से पुलिया निर्माण शुरू कर देते है, जो शाम 7 बजे तक चलता है।

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नहीं मिला सहयोग
कुरेल नदी पर पुलिया निर्माण की मांग वर्षों पुरानी है। ग्रामीण कई बार सरकार, प्रशासनिक अधिकारियों, मंत्रियों, स्थानीय विधायक, सांसद, जिला प्रमुख से इस स्थान पर पुलिया निर्माण की मांग कर चुके है, लेकिन किसी ने नहीं सुनी।इस पर सबके सहयोग से पुलिया निर्माण का निर्णय लिया गया।

पुलिया से छावनी बोरदा तक सड़क तो बनवा दो
ग्रामीणों में नदी पर पुलिया निर्माण नहीं करवाने का मलाल है। ग्रामीणों ने कहा कि स्टेट हाइवे 34 खटकड़ केशवरायपाटन मार्ग में कुरेल नदी की बड़ी पुलिया से छावनी बोरदा की दूरी 2 किलो मीटर है। इस मार्ग में सड़क नहीं होने से ग्रामीण परेशान है। ग्रामीणों ने सिस्टम से इस मार्ग पर सड़क बनवाने की मांग की है। सीधी सडक नही होने से ग्रामीणों को 12 किमी चक्कर लगाकर भांडोलिया पीपली होते हुए स्टेट हाइवे 34 पर पहुंचना पड़ता है। यहां के बच्चे मायजा के विद्यालय में पढने जाते है, जिन्हें बरसात के मौसम में अधिक परेशानी उठानी पड़ती है।

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