कोटा में अपने निजी कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे शर्मा ने ‘राजस्थान पत्रिकाÓ से बातचीत में बताया कि कोटा के हालात बहुत बुरे हैं। पिछले साल भी वे कोटा आए थे, लेकिन अभी जितनी बुरी स्थिति नहीं थी। उन्होंने कहा कि कोटा में पूरा हिन्दुस्तां बसता है। बड़ी तादाद में कोचिंग स्टूडेंट्स रहते हैं। वे राजस्थान का खराब मैसेज लेकर बाहर जा रहे हैं। कोटा का इंडेक्स अच्छा है। यहां अच्छी बारिश होती है। हम प्रकृति को कंट्रोल नहीं कर पाते, लेकिन व्यवस्थाओं को कंट्रोल कर सकते हैं। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि जब हम खुद ही साफ-सुथरे नहीं रह पा रहे तो दूसरों को क्या सीख देंगे।
करोड़ों का बजट तो फिर काम क्यों नहीं अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन जेनेवा में सलाहकार व श्रम, सूचना तकनीक व सामाजिक न्याय से सम्बद्ध कई पुस्तकों के लेखक डॉ. शर्मा ने कहा कि केन्द्र सरकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत कोटा को करोड़ों का बजट जारी कर रही है, लेकिन आखिर धरातल पर काम क्यों नहीं दिख रहा है। डस्टबिन की व्यवस्था व कचरा निस्तारण के लिए नगर निगम व नगर निकाय जिम्मेदार हैं। गायों के पुनर्वास के लिए निश्चित स्थान होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत केन्द्र से मिलने वाले बजट का धरातल पर उपयोग नहीं हो रहा। वे प्रधानमंत्री, नगरीय व सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को खत लिखेंगे और बजट का पूरा ब्यौरा मांगेंगे। करप्शन की जांच होनी चाहिए।
बेल्जियम शिष्टमंडल से भी लेंगे जानकारी
उन्होंने बताया कि बेल्जियम का एक शिष्टमंडल ने कोटा में सुपर थर्मल पावर स्टेशन व रावतभाटा आरएपीपी को देखने का इरादा बनाया था। उनसे भी पूछेंगे कि यदि वे कोटा आए तो क्या हकीकत देखकर गए।