मकर संक्राती का पर्व हर वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है। यह बच्चों में बहुत लोकप्रिय त्यौहार माना जाता है। इस दिन सभी लोग पतंगबाजी भी करते हैं। लेकिन बच्चाें में दिसंबर से ही पतंगबाजी का दौर शुरू हो जाता है। बच्चों की अर्द्धवार्षिक परिक्षा निपटने के बाद तो पतंगबाजी जोरो शोरों से शुरू हो जाती है। शहर में पतंगबाजी का दौर शुरू हो गया है। छतों पर पतंग उड़ाते बच्चे दिखाई देने लगे हैं।
बच्चे चाइनीज मांझा व सामान्य धागे से पतंगबाजी कर रहे हैं। चायनीज मांझा बच्चों के साथ औरों के लिए भी घातक है। हर साल चायनीज मांझे से कटने व घायल होने यहां तक की मौत के शिकार होने की भी बात सामने आती है। कई पक्षी इस मांझे से उलझकर मौत के शिकार हो जाते हैं। इस वजह से इस पर प्रतिबंध भी लगाया जा चुका है लेकिन फिर भी यह चोरी छुपे बेचा जाता है। बुधवार को कुन्हाड़ी क्षेत्र में छत पर पढ़ाई करते समय चाइनीज मांझे से गर्दन को बचाने में एक कोचिंग छात्र की अंगुलियां कट गई।
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बिहार से मेडिकल की कोचिंग करने कोटा आए छात्र विकास कुमार ने बताया कि वह छत पर पढ़ाई कर रहा था। इसी दौरान तेजी से मांझा उसकी गर्दन पर चला तो उसने हाथ से उसे हटाया, लेकिन चाइनीज मांझे की चपेट में आने से उसकी तीन अंगुलियां कट गई। अंगुलियों में अधिक चोट आने से तेजी से खून बहने लगा। वह तत्काल एमबीएस चिकित्सालय आया जहां उसकी अंगुलियों में टांके लगाए गए। विकास ने बताया कि यदि वह हाथ को आगे नहीं करता तो चाइनीज मांझे से उसकी गर्दन में कट लग सकता था।
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प्रतिबंध लगाया था
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष प्रशासन ने शहर में चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिस कारण कई दुर्घटनाएं होने से बच गई थी, लेकिन इस समय शहर में चोरी छिपे चाइनीज मांझा बेचा जा रहा है। प्रशासन को इस पर तत्काल रोक लगानी चाहिए।
प्रतिबंध लगाया था
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष प्रशासन ने शहर में चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिस कारण कई दुर्घटनाएं होने से बच गई थी, लेकिन इस समय शहर में चोरी छिपे चाइनीज मांझा बेचा जा रहा है। प्रशासन को इस पर तत्काल रोक लगानी चाहिए।