लिहिएं अरग हे मईया, दिहीं आशीष हजार…पहिले पहिल हम कईनी, छठी मईया व्रत तोहर…करिहा क्षमा छठी मईया, भूल-चूक गलती हमार…, सुरुज देव घटवा पे तीवई चढ़ावेले हो, जोड़े-जोड़े फलवा, सुरुज देव घटवा पे तीवई चढ़ावेले हो जल बिच खड़ा होई दर्सन ला आसरा लगावेले हो, जल बिच खड़ा होई दर्सन ला आसरा लगावेले हो…जैसे गीतों की मिठास के साथ श्रद्धालुओं ने शुक्रवार को उगते सूरज को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का पारणा किया। अवसर था, छठ पर्व का। बिहारी समाज समेेत क्षेत्रवासियों ने छठ पर्व हर्षोल्लास से मनाया। पर्व के समापन पर शुक्रवार को उगते हुए सूरज की पूजा-अर्चना की व अर्घ्य अर्पित किया। बड़ी संख्या में लोग जलाशयों पर पहुंचे। उन्होंने सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित कर सुख-समृदि्ध व खुशहाली की कामना की। स्टेशन, भीतरिया कुंड, रंगबाड़ी, नदीपार समेत शहर के अन्य क्षेत्रों के जलाशयों पर महापर्व की रौनक नजर आई। कोटा के भीतरिया कुंड में खड़े होकर उगते सूर्य को अघ्र्य देती व्रतधारी महिलाएं। कोटा के भीतरिया कुंड में खड़े होकर उगते सूर्य को अघ्र्य देती व्रतधारी महिलाएं व पुरुष। कोटा में रिवरफ्रंट के सामने चम्बल नदी में पूजा-अर्चना करते बिहारी समाज के लोग। कोटा में छठ पर्व के समापन सुहागिन महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाया। कोटा में छठ पर्व के समापन सुहागिन महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाया।