शिक्षा नगरी में गुरुवार को जलाशयों पर श्रद्धा व भक्ति की बयार चली। क्षेत्र विशेष के गीत गूंजे, किनारे दीयों की रौशनी में झिलमिलाए और फिर छठ मईया की पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया। श्रद्धा व भक्ति की इस बयार में शाम सुहानी हो गई। अवसर था, छठ पर्व का। गुरुवार को श्रद्धालुओं ने अस्त होते सूरज को अर्घ्य अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना की। रंगबाड़ी, भीतरिया कुंड, रेलवे वर्कशॉप कॉलोनी, कंसुआ समेत चंबल, नहर व अन्य जलाशयों के किनारे बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। शाम होते-होते महापर्व का उल्लास छा गया। श्रद्धालुओं ने जलधाराओं के बीच खड़े होकर सूर्यदेव का पूजन कर अर्घ्य अर्पित किया। उन्होंने सूर्यदेव को फल-फूल नैवेद्य, ठेकुआ, कचोनिया समेत अन्य व्यंजनों का भोग लगाकर सुख-समृद्धि की कामना की। इस दौरान छठ मईया के गीत व भजन भी गूंजते रहे। कोटा में छठ महापर्व पर पूजन करती महिलाएं। कोटा में छठ महापर्व पर पूजन करती महिलाएं। कोटा में छठ महापर्व पर पूजन करती महिलाएं। कोटा में छठ महापर्व पर पूजन करती महिलाएं। कोटा में छठ महापर्व पर पूजन करती महिलाएं। छठ पर्व के अवसर पर रंगबाड़ी बालाजी मंदिर परिसर घाट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना करते लोग। कोटा में छठ महापर्व पर पूजन करती महिलाएं।