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मैं नीच हूं ना, इसलिए आता हूं कोटा चेतन भगत इतने पर ही नहीं रुके उन्होंने कहा कि एलिटिज्म हमारे देश की बड़ी प्रॉबलम है। मैं नीच हूं ना… तो छोटी क्लास में आता हू… मेरे जैसे लोग कोटा आते हैं। वो एलीट हैं… लंदन वाले हैं इसलिए वो वहां जाते हैं। उन्होंने कहा कि जिस दिन ये प्रॉब्लम खत्म हो जाएगी सही मायनों में उस दिन हमारे देश में लोकतंत्र आ जाएगा।
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… तो आज मोबाइल सिम बेच रहा होता चेतन भगत ने बताया कि जब दसवीं कक्षा में उनके 76 प्रतिशत अंक आए तो सोचा था कि चलो एसटीडी बूथ खोल लेता हूं। अच्छा चलेगा तो दो खोल लूंगा और धीरे-धीरे चार बूथ खोल लूंगा। अब सोचता हूं कि उस वक्त बूथ खोल लेता तो आज मोबाइल सिम बेचता रहता।
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मामा जी बोले- इस लड़के में कुछ तो था चेतन भगत ने बताया कि जब वे दसवीं कक्षा में थे तब उनके 76 प्रतिशत अंक आए, उसी वक्त मुझे मेरी औकात समझा दी गई। घर में सभी बैठे थे और डायनिंग टेबल पर बातें हो रही थीं। तब मेरे मामाजी ने कहा था- चलो ये लड़का कुछ तो कर ही लेगा। मुझे लगा कि अब मेरी औकात तय हो गई है। बाद में मैंने अपनी औकात को तोडऩे का मन बनाया। सोचा कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे औकात बदल जाए। बस मैंने आईआईटी में सलेक्ट होने का ठाना और तैयारी शुरू कर दी। बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से पढ़ाई की और सलेक्ट हो गया। सलेक्शन के बाद घर पर उसी डायनिंग टेबल पर उन्हीं मामाजी ने कहा- पहले ही लगता था कि इस लड़के में कुछ तो है।
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नंबरों से तय न करें औकात कोटा में युवाओं से बातचीत करते हुए चेतन भगत ने कहा कि बच्चों की औकात उनके परीक्षा में आए अंकों से तय की जाती है। जो चिता का सबब है। उन्होंने चिंता जाहिर की कि हमारे समाज में, घर में, दोस्तों में सब जगह बोर्ड परीक्षा के अंकों के आधार पर ही बच्चे की औकात तय कर दी जाती है। जरूरत इस धारणा को तोडऩे की है।