कोटा

भक्तों की भावना ने बदली भगवान की दिनचर्या

कोटा. कहते हैं, भगवान को कुछ नहीं चाहिए, वह तो भक्तों की पवित्र भावनाओं से ही कृपा बरसा देते हैं।शहर के कई मंदिरों में भी भक्त व भगवान के बीच कुछ इसी तरह की भावना देखी जा रही है।

कोटाDec 04, 2020 / 09:25 pm

Hemant Sharma

भक्तों की भावना ने बदली भगवान की दिनचर्या,भक्तों की भावना ने बदली भगवान की दिनचर्या

कोटा. कहते हैं, भगवान को कुछ नहीं चाहिए, वह तो भक्तों की पवित्र भावनाओं से ही कृपा बरसा देते हैं।शहर के कई मंदिरों में भी भक्त व भगवान के बीच कुछ इसी तरह की भावना देखी जा रही है। सर्दी की शुरुआत होने के साथ ही मंदिरों में मंगला से शयन तक की समय सारणी बदल गई है, वहीं भोग व शृंगार में भी परिवर्तन कर दिया गया है।
मंदिरों के पुजारियों के अनुसार यह भगवान सेवा का एक भाव है। हर मौसम में जैसा हम खुद के लिए महसूस करते हैं,उसी भाव से सेवा करते हैं।

इस तरह परिवर्तन

शहर के कई मंदिरों में अब भोग मेंं ठंडक देने वाले पदाथों की जगह मौसम के अनुसार भोग लगाए जारहे हैं। पाटनपोल टिपटा स्थित फूल बिहारी जी के मंदिर के पुजारी अश्वनी कुमार के अनुसार दाल चावल व रोटी के अलावा मूंग व गौंद के लड्डूओं का भोग लगाया जा रहा है।
देव प्रबोधनी एकादशी के बाद शृंगार भी अब भारी हो गया है। रंगबाड़ी स्थित बांके बिहारी जी के मंदिर मेंं शयन में ठाकुरजी को केसर दूध अर्पित किया जा रहा है। मंदिर समिति की ओर से राजेन्द्र खंडेलवाल ने बताया कि राजभोग में यहां भी मूंग व गौंद के लड्डूओं का भोग लगाया जा रहा है।
गढ़ पैलेस स्थित बृजनाथ जी के मंदिर में रेशम व रूई से निर्मित पोषाक धारण करवाई जाने लगी है। राव माधोसिंह म्यूजीयम ट्रस्ट के आशुतोष आचार्य ने बताया कि मंगला सुबह 6.30 केस्थान पर 7, शृंगार समय सुबह 9 के स्थान पर 9.30,राजभोग 10.30 के स्थान पर 11 बजे हो गया है। शाम का समय कुछ जल्दी कर दिया गया है। अब उत्थापन 4 के स्थान पर 3.30,भोग 4.30 के स्थान पर 4, संध्या 5 से 4.30 व शयन 7 के स्थान पर 6.30 कर दिया गया है।
महाप्रभूजी के बड़े मंदिर के प्रबंधक गोस्वामी विनय बाबा के अनुसार मंदिर में समय मेंं विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है, लेकिन अब भोग मेंं ठाकुरजी को नीबू, गुड अर्पित की जा रही है। पौष कृष्ण नवमी से पीपल पाक , सौंठ भी अर्पित की जाएगी। केशवपुरा टीचर्स कॉलोनी स्थित पुनित धाम, घोड़ेवाला चौराहा स्थित टीलेश्वर महादेव मंदिर में भी बदलाव किया गया है।
ऊनी वस्त्रों के साथ रजाई

मंदिरों में गर्म व ऊनी वस्त्रों के साथ शयन के दौरान रजाई,कम्बल भगवान को औढ़ाने लगे हैं। बृजनाथ जी व फूल बिहारी जी के मंदिर में सुबह सिगड़ी का उपयोग भी किया जा रहा है। शयन के समय ठाकुरजी को रजाई औढ़ाई जाती है।

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