चम्बल के बांधों के पानी से राजस्थान में 2 लाख 29 हजार हैक्टेयर व मध्यप्रदेश की भी इतनी ही 2 लाख 29 हजार हैक्टेयर भूमि सिंचित होती है।
बारां में बैथली, गोपालपुरा, हिंगलोट, बिलास, उम्मेद सागर, कालीकोट छत्तरपुरा, इकलेरा सागर, उतावली बांध सूखे पड़े हैं। बूंदी जिले में बरधा बांध, गोठड़ा, डूंगली, पैबालपुरा, चाकन अभयपुरा, बड़ानयागांव, पेच की बावड़ी, मछाली, इंदिरानी, रुणीजी बांध सूखे पड़े हैं। झालावाड़ में सरनखेड़ी, कनवाड़ा, सारोला, मुंडालिया खेड़ी व कोटा में सावनभादौ बांध खाली पड़ा है।
कोटा के आलनिया, झालावाड़ जिले के छापी, भीमसागर, राजगढ़, चवली, पीपलाद, गागरिन, गुलखेड़ी, कालीखार, भूमानी, रेवा, बारां जिले में ल्हासी, रतन, बूंदी जिले के भीमलत व गुड़ा गांध में नाममात्र का पानी है। जबकि यह आसपास क्षेत्रों के लिए लाइफ लाइन है।
-कोटा में 3 में से 2 बांध 50 प्रतिशत से कम
-बूंदी में 14 में से 13 बांध 50 प्रतिशत से कम
-झालावाड़ में 15 बांध में से 14 बांध 50 प्रतिशत से कम
-बारां में 12 में से 11 बांध 50 प्रतिशत से कम
कोटा गांधीसागर- 1312- 1290
राणाप्रताप सागर- 1157.30- 1142.53 जवाहर सागर बांध- 980-973.10
कोटा बैराज- 854-851.90 अलनिया- 35- 30.47
सावनभादौ- 44.61- 0
झालावाड़ जिला
कालीसिंध- 32.80- 25.95
भीमसागर- 40- 06
चवली- 30.47- 3.51
राजगढ़ बांध- 56.45- 8.85
छापी- 42.32- 11.81
गागरोन- 22.96- 16.07
बारां
रताई बांध- 20.01- 4.49
बैथली बांध- 31.49- 0
ल्हासी- 19.68- 0.78
बूंदी
गुढ़ा बांध- 34.50- 1.70
बरधा बांध- 21 – 0
भीमलत बांध- 36- 4.90
(स्त्रोत: जलसंसाधन विभाग, भराव-क्षमता फीट में है)
इस बार मानसून आगे खिसका है, लेकिन 15 सितम्बर तक मानसून का सीजन रहता है। गांधीसागर में जितना पानी है उससे इस साल राजस्थान व मध्यप्रदेश की प्यास बुझा सकते हैं और खेतों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करवा सकते हैं।
-एजाजुद्दीन अंसारी, अधीक्षण अभियंता, जलसंसाधन विभाग, कोटा