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कोटा

खुशखबरी: आपकी प्यास बुझाने को, चंबल से जुड़ेंगी सहायक नदियां

चंबल और उसकी सहायक नदियां को जोड़ने के लिए 43000 करोड़ खर्च होंगे। हाड़ौती समेत प्रदेश के 13 जिले को इस योजना का लाभ मिलेगा।

कोटाOct 25, 2017 / 12:37 pm

ritu shrivastav

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चंबल नदी का सुंदर किनारा

राज्य सरकार ने चम्बल व उसकी सहायक नदियों को जोडऩे की महत्वपूर्ण योजना तैयार की है। परियोजना को तीन चरणों में पूरा किया जाना प्रस्तावित है। कुल लागत राशि करीब 43000 करोड़ रुपए है। राज्य सरकार की ओर से इसे राष्ट्रीय परियोजना बनाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। डीपीआर तैयार करने के लिए वेपकोस को कार्यादेश दिया गया है। इससे सवा 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचित किए जाने की उम्मीद है।
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जल संकट से निपटने के लिए नदियोें जोडा जाएगा

विधानसभा में मंगलवार को लाडपुरा विधायक भवानीसिंह राजावत के नदियों से जोडऩे संबंधित अतारांकित प्रश्न के जवाब में सरकार ने यह जानकारी दी। विधायक ने पूछा था कि क्या यह सही है कि प्रदेश में जल संकट से निपटने के लिए नदियों को जोडऩे की योजना पर कार्य किया जा रहा है। यदि हां, तो उक्त योजना कब प्रारम्भ हुई व इसके तहत कितनी लागत से किन-किन नदियों को जोड़ा जाएगा, इसकी लागत किसके द्वारा वहन की जाएगी।
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परियोजना की परिकल्पना फरवरी 2014 में की गई थी

सरकार ने लिखित उत्तर में बताया कि चम्बल बेसिन की पार्वती एवं कालीसिंध सहायक नदियों के अधिशेष पानी को बनास, गंभीर एवं पार्वती बेसिन में डालते हुए धौलपुर तक ले जाने की परियोजना की परिकल्पना फरवरी 2014 में की गई। परियोजना की प्री- फिजिबिलिटी रिपोर्ट नवम्बर 2015 में केन्द्रीय जल आयोग को सैद्धांतिक स्वीकृति के लिए भेजी गई। परियोजना की हाइड्रोलॉजी की सैद्धांतिक स्वीकृति आयोग ने फरवरी 2016 में दे दी। इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का काम भारत सरकार के उपक्रम वेपकोस लिमिटेड को 22 जुलाई 2016 को दिया गया। रिपोर्ट केन्द्रीय जल आयोग को भेजी जा चुकी है।
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ब्राह्मणी नदी के अधिशेष पानी को बीसलपुर में डालेंगे

चम्बल की सहायक नदी ब्राहणी नदी का अधिशेष पानी बीसलपुर बांध में डालने की परियोजना सरकार ने तैयार की है। इसकी फिजीबिलिटी रिपोर्ट मई में भेजी जा चुकी है। ब्राहणी नदी जवाहर सागर के अपस्ट्रीम में चम्बल नदी की एक सहायक नदी है, जिसमें अधिशेष पानी उपलब्ध रहता है। अधिशेष पानी को बीसलपुर में डाला जाना प्रस्तावित है।
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हरिपुरा मांझी पेयजल योजना को मंजूर किया जाए

सांगोद विधायक हीरालाल नागर ने मंगलवार को विधानसभा में हरीपुरा मांझी की पेयजल योजना को स्वीकृत करने की मांग उठाई। विधायक ने सदन में प्रक्रिया के नियम 295 के तहत यह मसला उठाया। सरकार की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया कि कालीसिंध पर हरिपुरा मांझी एनिकट पर जल संसाधन विभाग ने 15.58 मिलियन घन मीटर जल भराव का निर्धारण किया है। वर्तमान में 297.48 करोड़ की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर ली है। मई में भारत सरकार ने हिस्से की राशि 23.80 करोड़ रुपए भी जारी कर दी। योजना के तहत सांगोद विधानसभा के 102 ग्राम एवं 20 मजरे, पीपल्दा विधानसभा के 44 गांव ओर 6 मजरे तथा लाडपुरा विधानसभा क्षेत्र के 61 गांव और 26 मजरे हैं। योजना की स्वीकृति के बाद क्रियान्वित के लिए तीन साल की समय सीमा निर्धारित की गई है।
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ये जिले होंगे लाभान्वित

परियोजना के तहत प्रदेश के 13 जिले लाभान्वित होंगे। कोटा , बूंदी, बारां, झालावाड़, सवाईमाधोपुर, अजमेर , टोंक, जयपुर , दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर एवं धौलपुर को पेयजल आपूर्ति एवं करीब दो लाख हेक्टेयर नए सिंचित क्षेत्र एवं 2.3 लाख हेक्टेयर विद्यमान सिंचित क्षेत्र की सिंचाई किया जाना प्रस्तावित है।

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