मंदिरों में कोरोना का पहरा लेकिन घरो में पूजा का मिलेगा सौ फीसदी लाभ,ब्रह्म योग के साथ नवरात्र में आएंगे चार सर्वार्थ सिद्धि योग मां शैलपुत्री की अराधना
नवरात्र पूजन के प्रथम दिन कलश पूजा के साथ ही मां दुर्गा के पहले स्वरूप ‘शैलपुत्री जी’ का पूजन किया जाता है। इनका पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है और यहां से योगसाधना आरम्भ होती है। वैसे तो मां दुर्गा की अराधना के सभी दिन शुभ माने गये हैं। जिसमें किसी भी तरह का शुभ कार्य बिना सोच विचार के आरंभ किया जा सकता है। लेकिन इस बार नवरात्र में 4 सर्वार्थ सिद्धि योग, 5 रवि योग और 1 द्विपुष्कर योग बनने से इन दिनों का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है।
नवरात्र पूजन के प्रथम दिन कलश पूजा के साथ ही मां दुर्गा के पहले स्वरूप ‘शैलपुत्री जी’ का पूजन किया जाता है। इनका पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है और यहां से योगसाधना आरम्भ होती है। वैसे तो मां दुर्गा की अराधना के सभी दिन शुभ माने गये हैं। जिसमें किसी भी तरह का शुभ कार्य बिना सोच विचार के आरंभ किया जा सकता है। लेकिन इस बार नवरात्र में 4 सर्वार्थ सिद्धि योग, 5 रवि योग और 1 द्विपुष्कर योग बनने से इन दिनों का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है।
पूजा फल
मां शैलपुत्री देवी पार्वती का ही स्वरूप हैं जो सहज भाव से पूजन करने से शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। मन विचलित रहता हो और आत्मबल में कमी हो तो शैलपुत्री की आराधना करने से लाभ मिलता है।
कोटा के प्रसिद्ध माँ दुर्गा के मंदिरो में कोरोना संक्रमण को देखते हए पूरी एहतियात बरती गई ।लोगो ने घर घर घट स्थापना कर पूजा की सड़को पर पुलिस की निगरानी रही।