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जेल प्रशासन द्वारा दो दिन पहले रात के समय की गई तलाशी में 4 मोबाइल व 3 चार्जर मिट्टी और दीवारों में छिपाकर रखे मिले। कहने को तो जेल में 32 सीसीटीवी कैमरे और चार ‘4 जीÓ जैमर लगे हैं लेकिन वे काम ही नहीं कर रहे। कैमरे करीब एक साल से बंद हैं तो जैमर सही ढंग से काम ही नहीं कर रहे। फायदा अपराधी उठा रहे हैं।
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एक साल से बंद डीवीआर
जेल में वसूली के मामले में तत्कलीन डिप्टी जेलर बत्तीलाल मीणा के 3 अप्रेल 2017 को पकड़े जाने के बाद एसीबी ने जेल की डीवीआर जब्त कर ली थी। करीब एक साल होने को आया, जेल प्रशासन अब भी डीवीआर नहीं लगा सका। जेल के सभी सीसीटीवी कैमरे बंद हैं। अंदर के खेल अंधेरी कोठरियों और जेल प्रशासन के बीच ही दबे हुए हैं। ज्ञात रहे कि जेल में बंदी संख्या 1400 है। जबकि सीसीटीवी कैमरे 32 लगे हैं। 4 जी जैमर है तथा 4 कैमरे बंद हैं।
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पुलिस-प्रशासन को नहीं मिलते मोबाइल
बंदियों द्वारा मोबाइल फोन का उपयोग बत्तीलाल व अनूप पाडिय़ा के एसीबी की गिरफ्त में आने पर चौड़े हो गया था। एसीबी ने अनूप व उसके दलालों के बीच हुई फोन कॉल को रिकॉर्ड कर उसकी ट्रांसक्रिप्ट तैयार की थी। इसके बाद तत्कालीन जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक ने जेल पर औचक निरीक्षण भी किया लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा। लेकिन, बंदियों के परिजनों से वसूली का खेल अब भी बदस्तूर जारी होना मोबाइल के उपयोग की पोल खोल रहा।
अब भी जेल से धमका रहे अपराधी
हत्या जैसे मामलों में बंद अपराधी अब भी जेल से बंदियों के परिजनों को धमका रहे। गत दिनों 21 नम्बर बैरक से इस वसूली के खेल को चलाया जा रहा था। जेल में मारपीट व परेशान नहीं करने की एवज में मोटी रकम देने का दबाव बनाया जाता है। कुछ समय पहले ही दो बंदियों के परिजनों पर इतना दबाव बनाया कि एक महिला को तो मंगलसूत्र गिरवी रखकर और एक अन्य महिला को बच्चे की स्कूल फीस के रुपए इन अपराधियों को देने पड़े।
हत्या जैसे मामलों में बंद अपराधी अब भी जेल से बंदियों के परिजनों को धमका रहे। गत दिनों 21 नम्बर बैरक से इस वसूली के खेल को चलाया जा रहा था। जेल में मारपीट व परेशान नहीं करने की एवज में मोटी रकम देने का दबाव बनाया जाता है। कुछ समय पहले ही दो बंदियों के परिजनों पर इतना दबाव बनाया कि एक महिला को तो मंगलसूत्र गिरवी रखकर और एक अन्य महिला को बच्चे की स्कूल फीस के रुपए इन अपराधियों को देने पड़े।
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मुख्यालय लिखा, नहीं आई डीवीआर
जेल अधीक्षक ने बताया कि डीवीआर जब्त होने के बाद से कैमरे बंद हैं। नई डीवीआर के लिए मुख्यालय को लिख चुके। बजट नहीं मिलने से उसे अपने स्तर पर भी नहीं खरीद सकते। जैमर काम नहीं के भी डीजी ने कम्पनी को पत्र लिखे हैं। तलाशी में मिले मोबाइलों की जांच की जा रही है कि वे कैसे आए।