कोटा

10 साल बाद मिला बेटा, माता-पिता हुए भावुक, मदारी के खेल में जमूरा बनाने के लिए बच्चों को अगवा करने का मामला

जयपुर. गंगापुर सिटी से दस वर्ष पहले अपहरण किए गए ललित के मिलने की सूचना पर उसके माता-पिता कोटा पहुंचे। कोटा में जीआरपी थाना पुलिस के पास बेटे को देखकर माता-पिता भावुक हो गए।

कोटाMay 16, 2024 / 10:52 am

Manoj Kumar

A child kidnapped 10 years ago in Madari’s game was found, parents’ tears turned into tears of joy, DNA test will reveal the whole truth

जयपुर. गंगापुर सिटी से दस वर्ष पहले अपहरण किए गए ललित के मिलने की सूचना पर उसके माता-पिता कोटा पहुंचे। कोटा में जीआरपी थाना पुलिस के पास बेटे को देखकर माता-पिता भावुक हो गए। कोटा जीआरपी के उपाधीक्षक चांदमल ने बताया कि डीएनए टेस्ट के लिए ललित व सवाईमाधोपुर से पहुंचे परिजन के रक्त के नमूने डीएनए टेस्ट के लिए एफएसएल को जांच के लिए भिजवाए हैं। उनकी डीएनए रिपोर्ट समान होने पर बच्चे को परिजन के सुपुर्द किया जाएगा। बच्चे को सीडब्ल्यूसी सदस्य के समक्ष पेश किया गया, जहां से उसे विधिक संरक्षण में उत्कर्ष संस्थान श्रीनाथपुरम, कोटा में रखवाया है।

गंगापुर सिटी से हुआ था अपहरण, बच्चे का नाम ललित से बदलकर रख दिया था छोटू

वहीं, कोटा पहुंचे सवाईमाधोपुर के चौथ के बरवाड़ा निवासी शंभूदयाल कोली ने बताया कि 9 दिसम्बर 2014 को सवाईमाधोपुर से दिल्ली जाने के लिए ट्रेन में बैठे थे। ट्रेन भरतपुर पहुंची तो चार वर्षीय बेटा ललित कोच में नहीं था। कोच में पहले से बैठा एक व्यक्ति बयाना स्टेशन पर बच्चे को अपने साथ लेकर चला गया था। गंगापुर सिटी जीआरपी थाने में इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। गौरतलब है कि अपहरण के बाद ललित को आरोपियों ने विद्याधर नगर स्थित किशनबाग कच्ची बस्ती में अपने साथ रख रखा था। हाल ही में कोटा से लवेश का अपहरण किया तो पकड़े जाने पर ललित भी गैंग के चंगुल में मिला था।
इनको किया है गिरफ्तार
पुलिस ने मूलत: हरियाणा के भिवानी हाल किशनबाग झुग्गी झौपड़ी निवासी प्रेम सिंगीवाल (65) उसकी पत्नी लज्जो (55), बेटा अर्जुन (30), कर्ण (22) व मुख्य सरगना मुकेश मदारी (19) को गिरफ्तार किया।
शंभूदयाल ने कहा कि भगवान का शुक्र है…उनका बेटा मिल गया। अब जल्दी से कानूनी कार्रवाई के बाद बेटा उन्हें दे दिया जाए तो उसका इलाज करवाएं। उन्होंने बताया कि बेटे का जब अपहरण हुआ, तब वह चार वर्ष का था और उसके कान के पीछे हल्का निशान था, हो सकता है आरोपियों ने निशान मिटा दिया या फिर उम्र बढऩे के साथ निशान स्वत: मिट गया। कोटा में पत्नी के साथ बेटे से मिलने पहुंचे, लेकिन दस वर्ष बाद वह पहचान नहीं पा रहा। दो-तीन घंटे उसके साथ रहे। बेटा और उसकी मां रोते ही रहे।

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