मुख्य रूप से धनिया की पैदावार राजस्थान के कोटा, झालावाड़, बारां में होती है। इसके बाद दूसरे नंबर पर मध्यप्रदेश है। लेकिन गुजरात में धनिया की पैदावार होने का असर यहां भी होने लगा है। गुजरात में होने वाला धनिया हाड़ौती के धनिए की तुलना में खुशबूदार नहीं होता। ऐसे में रामगंजमंडी से कम दर पर यह धनिया मिल जाता है। व्यापारी रामगंजमंडी के खुशबूदार धनिए को गुजरात के धनिए में मिलाकर बेचते हैं। इस बार गुजरात में धनिए का रकबा बढ़ा हुआ है। हाड़ोती संभाग मे धनिया की बुवाई का आंकड़ा गिरा है, लेकिन मौसम की अनुकूलता से धनिया की पैदावार बढऩे व अच्छी किस्म आने की संभावना ने व्यापारियों का मनोबल तेजी की धारणा के प्रति कम बन रहा है। स्टाकिस्ट पुराना धनिया का स्टाक खत्म कर चुके हैं उनकी निगाहें नए धनिए पर टिकी हैं।
सामान्यत: मंडी में नए धनिए की आवक दिसंबर में प्रारंभ होती है। फरवरी में आवक बढऩे का दौर शुरू होता है। मार्च माह धनिया का पीक सीजन माना जाता है। इस बार बुवाई देरी से होने के कारण आवक का दौर जनवरी में मामूली हुआ। फरवरी तक नए धनिए की आवक पांच सौ से सात सौ बोरी के बीच बनी हुई है। मार्च में धनिया की आवक बढऩे का दौर शुरू होगा। अप्रेल व मई धनिया का पीक सीजन रहेगा।
वर्ष 2019-20 में सबसे कम आवक
गत पांच वर्ष में सबसे कम धनिए की आवक वर्ष 2019-20 में हुई। इस साल में मार्च 2019 से जनवरी 2020 के बीच मात्र 4 लाख 66 हजार 923 क्विंटल धनिया की आवक हुई। जबकि सबसे ज्यादा धनिया वर्ष 2017-18 में आया था। हाड़ौती के अलावा मध्यप्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिलों से धनिया आता है।
हाड़ौती में इस वर्ष धनिए का रकबा भले ही कम रहा हो, लेकिन इस बार धनिए का उत्पादन अच्छा होगा। इस बार फसल में रोग प्रकोप या प्राकृतिक प्रकोप नहीं होने से पैदावार अच्छी रहने की उम्मीद है।
यशवंत बाफना, अध्यक्ष ग्रेन एण्ड सीड्स मर्चेन्ट एसोसिएशन