केशवपुरा टीचर्स कॉलोनी में शनिवार को कलश यात्रा के साथ भागवत कथा शुरू हो गई। सत्येश्वर महादेव मंदिर पार्क में आयोजित भागवत कथा में कथावाचक दिनेश कृष्ण आचार्य ने कथा का महात्म्य सुनाया। उन्होंने कहा कि भागवत भक्ति मार्ग की ओर चलने को प्रेरित करती है। यह भक्ति व ज्ञान का भंडार है। भक्ति के मार्ग पर चलते हुए जीवन की सच्चाई का ज्ञान यह कथा करवाती है। जब सच्चा ज्ञान दुनिया के दिखावे से दूर करता है। यही वैराग्य है। जहां वैराग्य है, वहीं इंसान बंधनों से मुक्त है। आचार्य ने कहा कि कथा का श्रवण कर इसके संदेशों को जीवन में उतारो। इस दौरान भजन भी गूंजे।
इससे पहले केशवपुरा हनुमान मंदिर, अखाड़े से कलश यात्रा निकाली गई। यह क्षेत्र के प्रमुख मार्गों से होते हुए आयोजन स्थल पहुंची। कलशयात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने मार्ग में भजनों पर जमकर नृत्य किया। कथा के व्यवस्थापक भवानी शंकर गर्ग ने बताया कि कथा का समापन 13 जनवरी को होगा। इस दौरान दोपहर एक से शाम को 5 बजे तक प्रतिदिन कथा होगी।
कृष्ण-रुकमणी विवाह प्रसंग का वर्णन
बारां रोड स्थित मानपुरा गांव में चल रही संगीतमय भागवत कथा में कृष्ण-रुकमणी विवाह प्रसंग का मनमोहक वर्णन किया गया। इस दौरान सजीव झांकी सजाई गई। कथा वाचक बाल व्यास पुनीत शर्मा ने बांके बिहारी की देख छटा…, मोहन से दिल क्यूं लगाया है…, मैं तो नाचूंगी सांवरिया… आदि भजनों से श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
बारां रोड स्थित मानपुरा गांव में चल रही संगीतमय भागवत कथा में कृष्ण-रुकमणी विवाह प्रसंग का मनमोहक वर्णन किया गया। इस दौरान सजीव झांकी सजाई गई। कथा वाचक बाल व्यास पुनीत शर्मा ने बांके बिहारी की देख छटा…, मोहन से दिल क्यूं लगाया है…, मैं तो नाचूंगी सांवरिया… आदि भजनों से श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
कथा वाचक ने कहा कि लोग भंडारे, सर्दी में ऊनी वस्त्र बांटते हैं। दान-पुण्य करना अच्छा कार्य है, लेकिन पहले यह भी देख लेना चाहिए कि दान की सामग्री जिसे दी जा रही है, क्या वह उसका सदुपयोग कर रहा है या नहीं। दुखियों का दर्द मिटाना ही ईश्वर की सच्ची भक्ति है। कथा के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि कंस का वध करने के बाद भगवान कृष्ण ने मथुरावासियों के हृदय में भय समाप्त किया। दिव्य मुस्कान से सुख प्रदान किया। उद्धव को ब्रजमंडल में भेजकर प्रभु ने उद्धव के ज्ञान को भक्ति में समाहित किया।