scriptखुजली से परेशान हैं तो सावधान, अपने आसपास चैक कीजिए यह वनस्पति | Be Aware from Gajar ghas | Patrika News
कोटा

खुजली से परेशान हैं तो सावधान, अपने आसपास चैक कीजिए यह वनस्पति

गाजर घास पहले सिर्फ जंगलों तक सीमित थी। लेकिन अब यह बस्तियों में भी बड़े स्तर फैल चुकी है। हर मोहल्ला गिरफ्त में है। आबादी क्षेत्र हो या खाली पड़ी जगह।

कोटाJun 23, 2019 / 12:36 am

Dhitendra Kumar

kota

सांगोद में जलदाय विभाग कार्यालय के पीछे बस्ती में खाली भूखंडों पर उगी गाजर घास

कोटा/सांगोद.

आपका गांव या शहर इन दिनों खुजली से परेशान हैं तो जरा अपने आस पास नजर दौड़ाइये। कहीं गंभीर रोगों को जन्म देने वाली यह सुकून की दुश्मन आपके आस पास तो नहीं उगी है। कोटा जिले के सांगोद कस्बे और आसपास के इलाकों में इसने लोगों का सुकून छीन रखा है। कभी जंगलों तक सीमित रहने वाली गाजर घास इन दिनों यहां रिहायशी बस्तियों में भी फैलने लगी है। ऐसा कोई मोहल्ला नहीं जहां खाली भूखंड या जमीन पर गाजर घास नहीं उगी हो। कई जगह, खासकर सड़क किनारे तो इसकी तादाद इतनी ज्यादा है कि दूर-दूर तक यही नजर आती है। जगह-जगह उग रही यह घास चर्मरोग का बड़ा कारण बनकर उभर रही है। चिकित्सक भी इसे चर्म रोग का बड़ा कारण मानते हैं।
जानकारों की मानें तो गाजर घास पहले सिर्फ जंगलों तक सीमित थी। लेकिन अब यह बस्तियों में भी बड़े स्तर फैल चुकी है। हर मोहल्ला गिरफ्त में है। आबादी क्षेत्र हो या खाली पड़ी जगह। सरकारी कार्यालयों में खाली पड़ी भूमि हो या फिर सड़कों के किनारे, सब जगह गाजर घास का साम्राज्य दिखता है। अधिकांश सरकारी स्कूलों के परिसर में भी यह फैली हुई है। बीमारियों का घर और जमीन को बंजर कर देने वाली इस घास को नष्अ करने के प्रयास फिलहाल किसी भी ओर से नहीं होते दिखाई दे रहे।
गर्मी व मानसून में फैलता साम्राज्य

जानकारों के मुताबिक गर्मियों के दिनों में अंकुरित होने वाली गाजर घास मानसून के समय सर्वाधिक फैलती है। अंकुरित होने के कुछ दिनों बाद ही घास में सफेद फूल आने लगते हैं। परिपक्वता के साथ ही इसकी जड़ें जमीन में इतनी गहराई में चली जाती हैं कि एक बार पनपने के बाद सालों तक बनी रहती है। हवा में तैरते इसके परागकण एक से दूसरे स्थान पर पहुंचते हैं। ऐसे में इन दिनों यहां कोई इलाका ऐसा नहीं जो गाजर घास की गिरफ्त में नहीं हो।
गंभीर रोगों का बड़ा कारण

जानकारों के मुातबिक इसे छूने या इसके लगातार सम्पर्क में रहने से चर्म रोग ग्रस्त हो सकते हैं। शुरूआत में त्वचा पर खुजली व जलन होती है। बाद में त्वचा मोटी व काली हो जाती है। इसे कांटेक्ट डर्मेटाईटिस भी कहते है। इसमें बाद में फोड़े बनकर मवाद बनती है। लगातार संपर्क से व्यक्ति में अस्थमा एवं श्वांस रोग बढऩे का खतरा रहता है।
कांटेक्ट डर्मेटाइटिस बीमारी का खतरा

चर्मरोग विशेषज्ञ डॉ. एलसी गुप्ता बताते हैं कि गाजर घास के लगातार सम्पर्क में रहने से एयरबोन एलर्जी कांटेक्ट डर्मेटाइटिस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर इसमें दाद और खुजली होती है। बीते तीन सालों में चर्मरोग के मरीजों में काफी इजाफा हुआ है। इसका एक बड़ा कारण गाजर घास भी है। इसका ज्यादा प्रभाव शरीर के उन हिस्से में होता है जहां त्वचा पर पसीना ज्यादा आता है या नमी बनी रहती है।

Hindi News / Kota / खुजली से परेशान हैं तो सावधान, अपने आसपास चैक कीजिए यह वनस्पति

ट्रेंडिंग वीडियो