अफसरों की इस लापरवाही से इतिहासकार नाराज हैं। 50 लाख की लागत से पुरातत्व विभाग मठ का जीर्णोद्धार करवा रहा है। गत 10 नवंबर से मठ के मध्य स्थापित शिव मंदिर का जीर्णोद्धार शुरू हुआ। पुरातत्व अधिकारियों ने सबसे पहले सभामंडप का पुनर्निर्माण शुरू किया, लेकिन इस काम में अप्रशिक्षित मजदूरों को लगा दिया। मजदूरों ने सभा मंडप के पत्थरों और ईंटों को एक-एक कर उतारने और क्रम से रखने के बजाय उसे एक साथ ध्वस्त कर दिया और मलबे का ढेर लगा दिया।
पत्रिका स्टिंग: दिन में फोन करो रात को बजरी का ट्रक हाजिर
पता ही नहीं कितनी मूर्तियां, चोरी की आशंका
सभामंडप के पास प्रणयरत दंपती, शिव-पार्वती, ललितासन शिव और पार्वती सहित 8 दुर्लभ प्रतिमाएं स्थापित थीं। जीर्णोद्धार में लगे मजदूर मठ के पुरातात्विक महत्व से अनजान हैं, जिसके चलते उन्होंने पहले इन बेशकीमती धरोहरों को हटाया और उसके ऊपर सभामंडप का मलवा फेंक दिया। इन 1100 साल पुरानी प्रतिमाओं के ऊपर सभामंडप से निकले कई वजनी पत्थर भी डाल दिए। जिससे उनका मूल स्वरूप विकृत हो गया। जीर्णोद्धार शुरू करने से पहले विभाग के अधिकारियों ने प्रतिमाओं की संख्या तक रिकॉर्ड नहीं की। जिसके चलते पुरातत्व विभाग यह भी नहीं बता पा रहा है कि कौन-कौन सी प्रतिमाएं अभी मलबे में दबी हैं और कौन सी मंदिर से बाहर चली गईं।
पत्रिका स्टिंग: पुलिस की चिंता मत करो, पांच घंटे पहले फोन करना, ट्रक खाली हो जाएगा
पुरातत्व विभाग के वृत्ताधिकारी उमराव सिंह ने बताया कि सभा मंडप गिराने से पहले ठेकेदार को मंदिर परिसर में स्थापित प्रतिमाएं और अन्य पुरातात्विक सामग्री एक जगह रखने के लिए कहा था, लेकिन उसकी मजबूरी रही होगी, जो मलबे में दबा दी। समाधियों का कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं था, लोग भी नहीं चाहते थे कि वे बनी रहें इसलिए हटा दिया।