कोटा

यूपी में बेपटरी हुईं ट्रेन तो राजस्थान को याद आई हॉस्पीटल वाली रेलगाड़ी

यूपी में एक के बाद एक ट्रेन हादसों ने राजस्थान को भी हिला कर रख दिया है। राजस्थान सेफ्टी ड्राइव में जुट गया है।

कोटाAug 25, 2017 / 04:49 pm

​Vineet singh

एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन में बना ऑपरेशन थियेटर।

रेल हादसे यूपी में हो रहे हैं और धड़कनें राजस्थान में बढ़ी हुई हैं। दोनों राज्यों में रेल यातायात के एक जैसे हालात होने की वजह से रेलवे का पूरा अमला सेफ्टी ड्राइव में जुट गया है। हालत यह है कि कोटा रेल डिवीजन ने तो ‘अस्पताल वाली ट्रेन’ को भी बाहर निकाल कर उसे दुरुस्त करना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं दुर्घटना के दौरान राहत एवं बचाव कार्य में काम आने वाले साजो-सामान को भी झाड़ पोंछ कर इस्तेमाल के लायक बनाने की कवायद तेज हो गई है। ताकि हादसे के वक्त यह चीजें धोखा ना दे जाएं।
उत्तर प्रदेश में दो बड़े रेल हादसे होने के बाद कोटा रेल मंडल में सुरक्षा इंतजामों को दुरुस्त करने कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए रेलवे ने बकायदा सेफ्टी ड्राइव शुरू की है जो अगले तीन माह तक चलेगी। सेफ्टी ड्राइव की शुरुआत कोटा जंक्शन पर खड़ी दुर्घटना राहत ट्रेन की जांच पड़ताल के साथ शुरू हुई। इस ट्रेन के जरिए दुर्घटना में घायल होने वाले लोगों के उपचार के लिए बकायदा पूरा अस्पताल तक मौजूद है। गंभीर रूप से घायलों का इस ट्रेन में बने ऑपरेशन थियेटर में तत्काल ऑपरेशन कर उनकी जान भी बचाई जा सकती है। इसके साथ ही इस ट्रेन में राहत सामग्री भी तत्काल दुर्घटना स्थल तक पहुंचाई जाती है।
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ड्रोन रखेगा पटरियों पर नजर

पटरियों की सुरक्षा के लिए पूरे इलाके पर नजर रखने के लिए रेलवे ने पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल शुरू किया है। डबल्यूसीआर जोन में सेफ्टी के लिए पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल शुरू किया गया है। जिसे न्यू कटनी जंक्शन में एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन में तैनात किया गया है। इसी तरह कोटा समेत जोन के तीनों मंडलों में जीपीएस ट्रेक्स टेक्नॉलाजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। सघन यातायात वाले रेलमार्गों पर ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम जैसी नई तकनीकों का उपयोग भी किया जा रहा है। वहीं लोको पायलटों को सिमूलेटर आधारित प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
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रेल पटरी की नमी तक जांची गई

इसके अलावा अधिकारी एवं कर्मचारी दिन एवं रात में आकस्मिक निरीक्षण करेंगे। रेल संरक्षा से जुड़े सभी उपकरणों की जांच की जाएगी। अभियान में रेलवे के इंजीनियरिंग, यांत्रिक, विद्युत तथा सिग्नल एवं दूरसंचार विभाग के अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों को शामिल किया गया है। एक-एक पटरी की नमी तक जांची जा रही है ताकि तेज रफ्तार ट्रेन इस ट्रेक पर फिसलन का शिकार ना हो जाएं।

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