बोरखेड़ा देवली अरब रोड निवासी वीरेन्द्र सिंह नरुका का कहना है कि यहां बसी बालाजी नगर, कौटिल्य नगर, गणेशधाम, काशीधाम, श्रीएनक्लेव सहित आधा दर्जन कॉलोनियों वर्षोंे से बारिश के दिनों में बाढ़़ से घिर जाती है। इन कॉलोनियों में बारिश का 70 प्रतिशत पानी शहर से आता है। यहां से गुजर रहे तीन बड़े नालों का पानी इन कॉलोनियों में भरता है। तीनों नालों का पानी यहां बाढ़ की स्थिति पैदा करता है। 10-12 वर्षों से यहां से गुजर रहे नाले की सफाई तक नहीं की गई। डीसीएम वाले नाले में मगरमच्छ रहते हैं, जो बारिश में नाले में उफान के साथ कॉलोनियों में घुस जाते हैं।
नाले पर कर लिया कब्जा
काशीधाम निवासी गोविन्द सिंह गौड़ ने कहा पाणी न भर्गो तो कांई होवगो, नाळा मं तो प्लानिंग वाला न कब्जो कर नाला न बेच खायो। उन्होंने बताया कि बोरखेड़ा पुलिस लाइन से आ रहे नाले की पहले 60 से 70 फीट चौड़ाई थी, लेकिन प्लानिंग वालों ने नाले पर कब्जा कर प्लाट बेच डाले, इससे नाले की चौड़ाई 10 फीट भी नहीं रही। नाले की गहराई जमीन लेबल पर ही होने से सारा पानी कॉलोनियों में भर रहा है। इस बार पहली बार नाले की सफाई के लिए मशीनें लगाई, लेकिन पूरी तरह सफाई नहीं हो पाई।
काशीधाम निवासी गोविन्द सिंह गौड़ ने कहा पाणी न भर्गो तो कांई होवगो, नाळा मं तो प्लानिंग वाला न कब्जो कर नाला न बेच खायो। उन्होंने बताया कि बोरखेड़ा पुलिस लाइन से आ रहे नाले की पहले 60 से 70 फीट चौड़ाई थी, लेकिन प्लानिंग वालों ने नाले पर कब्जा कर प्लाट बेच डाले, इससे नाले की चौड़ाई 10 फीट भी नहीं रही। नाले की गहराई जमीन लेबल पर ही होने से सारा पानी कॉलोनियों में भर रहा है। इस बार पहली बार नाले की सफाई के लिए मशीनें लगाई, लेकिन पूरी तरह सफाई नहीं हो पाई।
नालों में अतिक्रमण से बाढ़ की समस्या
प्रेमनगर प्रथम निवासी महावीर प्रजापति ने बताया कि डीसीएम क्षेत्र में नालों में दबंग लोगों द्वारा कब्जा कर मकान बनाने के चलते नाले का आकार नालियों में तब्दील हो गया। साथ ही गोविन्द्र नगर से कंसुआ जाने वाले नाले पर प्रेमनगर प्रथम में पुलिया का निर्माण किया तो उसमें पानी की निकासी के लिए तीन छोटे छोठे मौखे बना दिए। बारिश में इन मौखों में कचरा फंस जाने से नाले का पानी कॉलियों में भर जाता है। हर बारिश में लोगों को आर्थिक सहित मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ रही है।
प्रेमनगर प्रथम निवासी महावीर प्रजापति ने बताया कि डीसीएम क्षेत्र में नालों में दबंग लोगों द्वारा कब्जा कर मकान बनाने के चलते नाले का आकार नालियों में तब्दील हो गया। साथ ही गोविन्द्र नगर से कंसुआ जाने वाले नाले पर प्रेमनगर प्रथम में पुलिया का निर्माण किया तो उसमें पानी की निकासी के लिए तीन छोटे छोठे मौखे बना दिए। बारिश में इन मौखों में कचरा फंस जाने से नाले का पानी कॉलियों में भर जाता है। हर बारिश में लोगों को आर्थिक सहित मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ रही है।