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उधर भी होगी देरी
14 मार्च को सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने के साथ ही मांगलिक आयोजन बंद हो गए थे। 14 अप्रेल को मलमास पूर्ण होने के बावजूद विवाह के प्रमुख कारक बृहस्पति के 31 मार्च से 29 अप्रेल तक अस्त रहने के कारण मांगलिक आयोजन नहीं हो सके थे। अब इस वर्ष देव प्रबोधिनी भी गत वर्ष की अपेक्षा देरी से है। इससे इधर भी सावों के लिए अधिक इंतजार करना होगा।
इनमें शादी वर्जित
अबूझ मुहूर्तों को छोड़ दिया जाए तो विवाह के प्रमुख कारक गुरु तथा भौतिक सुख सुविधाओं के कारण शुक्र के अस्तकाल, मलमास व देवशयन काल के दौरान मांगलिक आयोजन नहीं होते।
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ब्रेक से पहले व बाद में ये मुहूर्त
ज्योर्तिविद लक्ष्मीकांत शुक्ला के अनुसार जून में 2, 3, 5, 7, 11, 12, 13, 23, 25 व 27 जून को शादियां होंगी। 29 जून से देवशयन पर चले जाएंगे। चार माह शादी ब्याह नहीं होंगे। 23 नवम्बर को देव प्रबोधिनी एकादशी पर देव जागेंगे। इसके साथ ही मांगलिक आयोजनों की बयार चलेगी। दिसम्बर मध्य तक जमकर शादियां होंगी। देवउठनी से लेकर नवम्बर माह में 23, 28, 29 व दिसम्बर में 4, 6, 7, 8 व 14 दिसम्बर को मांगलिक आयोजनों की धूम रहेगी।