कोटा

सिग्नल फ्री सिटी में भी कटता है सिग्नल तोड़ने का चालान, पिछले साल काटे 12,966 चालान

Signal Free City Kota: सिग्नल फ्री सिटी का सफल क्रियान्वयन तभी संभव है, जब फ्लाईओवर और अंडरपास का काम पूरा हो। इसके साथ ही लोगों को नई व्यवस्था के प्रति जागरूक करना और पुलिस की कार्रवाई को पारदर्शी बनाना भी जरूरी है।

कोटाJan 06, 2025 / 09:17 am

Akshita Deora

Challan In Rajasthan: राजस्थान के कोटा शहर को पिछली राज्य सरकार ने ‘सिग्नल फ्री सिटी’ घोषित किया था यानी पूरे शहर में ट्रैफिक निर्बाध रूप से चल सके और कहीं भी वाहनों को नहीं रोका जाए। बावजूद इसके वर्ष 2024 में 12966 वाहन चालकों के चालान इस बात पर काटे गए कि उन्होंने वाहन चलाते समय सिग्नल तोड़ा। इससे यातायात पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा हो रहा है कि जब शहर में सिग्नल ही नहीं है तो सिग्नल तोड़ने का चालान कैसे काटा गया।

विशेषज्ञों की राय


ट्रैफिक विशेषज्ञों का मानना है कि सिग्नल फ्री सिटी का सफल क्रियान्वयन तभी संभव है, जब फ्लाईओवर और अंडरपास का काम पूरा हो। इसके साथ ही लोगों को नई व्यवस्था के प्रति जागरूक करना और पुलिस की कार्रवाई को पारदर्शी बनाना भी जरूरी है।
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शहर में सिर्फ सीएडी सर्कल पर ही एक सिग्नल है। वह भी कभी चालू नहीं हुआ। कोटा सिग्नल फ्री सिटी तो बन गया है, लेकिन कई जगह पुलिसकर्मी वाहन चालकों को रोकते हैं। यदि वाहन चालक नहीं रुकते तो चालान सिग्नल तोड़ने का ही बनाया जाता है।
अशोक मीणा, डीएसपी, ट्रैफिक, कोटा सिटी
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कार्रवाई में पारदर्शिता की कमी

कोटा को सिग्नल फ्री सिटी बनाने का उद्देश्य ट्रैफिक को सुगम और व्यवस्थित करना था। इसके तहत सड़कों पर सिग्नल हटाकर फ्लाईओवर, अंडरपास, ग्रेड सेपरेटर और राउंडअबाउट का निर्माण किया गया था, ताकि ट्रैफिक लाइट्स की जरूरत ही नहीं रहे, लेकिन चालान का आंकड़ा दर्शाता है कि या तो लोग यातायात नियमों की पालना नहीं कर रहे या ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई में पारदर्शिता की कमी है।

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