आखिर किसे खुश करने के लिए नागा साधुओं की तोड़ डाली सदियों पुरानी समाधियां…जानने के लिए पढ़े खबर
ग्यारह सौ साल पुराने इस मठ पर शोध करने वाली इतिहासकार डॉ. सुषमा अहूजा ने बताया कि मुख्य शिव मंदिर के गर्भगृह की बाहरी दीवारों पर 10 दिग्पाल इंद्र, सूर्य , अग्नि, यम, नैऋत्य, वरुण, कुबेर, ईशान, चंद्र, ब्रह्मा की प्रतिमाएं स्थापित थीं, लेकिन आज सिर्फ दिग्पाल यम की प्रतिमा दीवार पर मौजूद है। इंद्र और वरुण की प्रतिमाएं मंदिर परिसर में मलवे के ढ़ेर पर पड़ी हैं और एक दिग्पाल मलवे के नीचे।
कोटा में नागाओं के मठ में एएसआई ने मचाई तबाही, 1100 साल पुरानी मूर्तियां और समाधियां तोड़ी
वे बताती हैं कि पुरातत्व विभाग के वृत्ताधिकारी रहे हरफूल सिंह ढ़ाका ने करीब 30 साल पहले लिखे लेख में नौ दिग्पालों की प्रतिमा गर्भ गृह पर स्थापित होने की बात बताई। ऐसे में सवाल यह कि बाकी 5 दिग्पाल प्रतिमाएं कहां हैं? मंदिर की दीवार पर एक दिग्पाल की जगह सिंह वाहिनी दुर्गा की प्रतिमा लगा दी गई है जो मूल निर्माण का हिस्सा नहीं थी।रणथम्भौर से निकला मुकुंदरा का राजा कालंदा के जंगल में कर रहा शिकार, महादेव की गुफा के पास डाला डेरा
खतरे में पड़ी दसवीं सदी की दुर्गा
डॉ. आहूजा बताती हैं कि चंद्रेसल मठ देश के उन विलक्षण धार्मिक स्थलों में से है जहां चंद्र को दिग्पाल स्थान दिया गया। यह राजस्थान का ऐसा इकलौता धार्मिक स्थल है, जहां 1100 साल पुरानी नारायणी दुर्गा, चतुर्भुज दुर्गा, अंधकासुर वध, कीचक और चामुक प्रतिमाएं मौजूद थीं, लेकिन इनमें से अधिकांश या तो लापता हैं या फिर मलवे में दब गई।
चोरी हुई थी, रिकॉर्ड नहीं
पुरातत्व विभाग के वृत्ताधिकारी उमराव सिंह ने बताया कि मंदिर में कई साल पहले चोरी हुई थी। रिपोर्ट रेलवे कॉलोनी थाने में दर्ज कराई गई, लेकिन कौन सी प्रतिमाएं चोरी गई, इसका रिकॉर्ड विभाग के पास नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि वर्ष 2008 में ही विभाग को मंदिर के संरक्षण की जिम्मेदारी मिली।