नए टाइगर रिजर्व की सीमा मध्यप्रदेश बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, छत्तीसगढ़ (मनेंद्रगढ़, कोरिया, सूरजपुर व बलरामपुर जिले की सीमा में गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व), झारखंड के पलामू तक(209 किलोमीटर) होगी। वहीं टाइगर प्रोजेक्ट को 51 साल पूरे हो गए हैं। अप्रैल 1973 में टाइगर प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी गई थी। दिल्ली एनटीसीए(नेशनल टाइगर कंजर्वेशन ऑथारिटी) से सितंबर 2021 को गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व बनाने अनुमति मिली थी। टाइगर रिवर्ज को लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है।
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान एरिया 1440.57 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। वर्ष 2005 की गणना के हिसाब से बाघ, तेंदुआ, नीलगाय सहित 32 प्रकार के वन्यजीव प्राणी मौजूद हैं। कोरिया स्थित गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और सरगुजा के तमोर पिंगला अभयारण्य को मिलाकर नया टाइगर रिजर्व बनेगा। चिह्नित टाइगर रिजर्व के कोर जोन में 2 हजार 49 वर्ग किलोमीटर और बफर जोन में 780 वर्ग किलोमीटर का जंगल है। जिसमें 2 हजार 829 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल टाइगर रिजर्व का हिस्सा होगा।
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संजय राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा था गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान
गुरु घासीदास नेशनल पार्क कोरिया जिले के बैकुंठपुर सोनहत मार्ग पर पांच किलोमीटर दूर स्थित है। 2001 से पहले यह संजय गांधी नेशनल पार्क सीधी(मध्यप्रदेश) का हिस्सा था। टाइगर रिजर्व में शामिल होने वाले तमोर पिंगला अभयारण्य का क्षेत्रफल 608 वर्ग किलोमीटर है। उद्यान क्षेत्र के भीतर कई राजस्व गांव भी हैं। टाइगर रिजर्व बनने के बाद एरिया में प्रवेश को लेकर सख्ती बढ़ेगी। सोनहत ब्लॉक के सात राजस्व ग्राम पंचायत के 21 गांव की 7025 जनसंख्या निवास करती है। भरतपुर ब्लॉक में 14 गांव हैं, लेकिन उधर जनसंख्या कम हैं। गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान टाइगर रिजर्व बनने के बाद मध्यप्रदेश बांधवगढ़, झारखंड पलामू की सीमाएं जुड़ जाएंगी। जो टाइगर के लिए सबसे बड़ा इंटरप्टेट एरिया होगा। साथ ही टाइगर के मूवमेंट की बेहतर मॉनिटरिंग भी होगी।