वन विभाग के मुताबिक कटघोरा वनमंडल के जंगल से तीन दिन पहले 35 हाथियों का एक दल आया था। अब उसी दल में हाथियों की संख्या 50 पहुंच गई है। जो खड़गवां रेंज के सर्किल सकड़ा देवाडांड़ में डेरा जमाया हुआ है। बुधवार सुबह
हाथियों का दल कक्ष क्रमांक 622 के जंगल में विश्राम कर रहा है। मामले में वन अमले ने ग्रामीणों को हाथी के आस पास नहीं जाने एवं सुरक्षित स्थान पर रहने की समझाइश दी है। साथ ही हाथी प्रभावित आसपास के ग्रामों में हाथी विचरण की मुनादी करा दी गई है।
वन विभाग ने 50 हाथियों का दल कटकोना, जरौंधा, देवाडांड़, सलका, पिपरिया, कोडगार आगे बढ़ने का अनुमान लगाया है। साथ ही हाथी प्रभावित गांव बेलकामार, मंगौरा, भूष्कीडांड़ में वन कर्मचारी तैनात हैं। खड़गवां और चिरमिरी परिक्षेत्र के कर्मियों की हाथियों की निगरानी ड्यूटी लगाई गई है। साथ ही हाथियों के चलने से फसल और मकान नुकसान को लेकर आंकलन कराया जा रहा है। जिनको वन विभाग की गाइडलाइन के आधार पर मुआवजा वितरण किया जाएगा।
दूसरा दल सप्ताहभर बाद पार्क की ओर बढ़ा
वनपरिक्षेत्र बैकुंठपुर के सर्किल के जूनापारा बीट में 11 हाथियों का दल सप्ताहभर विचरण करने के बाद आगे बढ़ गया है। यह दल मंगलवार को जूनापारा जमटीपानी, बिशुनपुर, बांधपारा, दुर्गापुर से होकर सोनहत परिक्षेत्र के केराझरिया, दामुज की ओर चला गया। जो बुधवार को सोनहत ब्लॉक के ओदारी धुमाडांड़ के जंगल में विश्राम कर रहा है। वन विभाग के मुताबिक हाथी प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को अलर्ट किया गया है। ग्रामीणों को हाथी के आसपास नहीं जाने एवं सुरक्षित स्थान पर रहने समझाइश और हाथी विचरण गांवों में मुनादी भी कराई गई है।
एनएच-43 को क्रॉस करता है हाथी दल
जानकारी के अनुसार हाथियों का दल हर साल सलका, सलबा स्थित कंदाबारी आता है और कुछ दिन ठहरने के बाद अपने रूट से चला जाता है। हाथियों के रूट से एनएच-43 सड़क गुजरी है। जिसको क्रॉस कर सोनहत जाते हैं या बैकुंठपुर सलका आते हैं। लेकिन एनएच पर अंडरपास नहीं होने के कारण हादसे की आशंका बनी रहती है। हालांकि वन अमला एनएच क्रॉस होने तक लगातार मॉनिटरिंग करता है।