खरवत चौक के पास रेलवे ट्रैक पर 13 सितंबर की शाम को ट्रेन की चपेट में आने से 13 मवेशियों की मौत हो गई थी। खरवत रेलवे फाटक के निकट अज्ञात मवेशियों को खुला (Cattles cut by train) छोड़ दिया गया था। पशुपालकों की लापरवाही के चलते 13 मवेशियों की मृत्यु हो गई थी।
साथ ही मेमू के इंजन में खराबी आने के कारण 48 घंटे स्टेशन में खड़ी थी। मामले में सरपंच खरवत आनंदी सोनपाकर, पति संदीप कुमार सोनपाकर ने लिखित आवेदन पत्र थाने को सौंप था। पुलिस ने अज्ञात पशुपालकों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 11(घ) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 291 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है।
पुलिस ने मामले को गंभीरता से लकर विवेचना (Cattles cut by train) शुरू कर दी है। फिलहाल अब तक की जांच में यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मवेशियों के असली मालिक कौन थे। पुलिस ग्रामीणों और संभावित पशुपालकों से पूछताछ कर रही है।
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पशु क्रूरता अधिनियम में सजा का प्रावधान
पुलिस के मुताबिक पशु क्रूरता अधिनियम (Cattles cut by train) के तहत यदि कोई व्यक्ति अपने पशुओं की देखरेख में लापरवाही बरतता है, जिसके परिणामस्वरूप पशुओं की जान चली जाती है तो उसे कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल पुलिस की जांच अभी जारी है और दोषियों की पहचान करने प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं पुलिस ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पशुपालकों को अधिक सतर्क रहने और अपने मवेशियों को खुले में नहीं छोडऩे समझाइश दी है। क्योंकि इस घटना से स्पष्ट है कि पशुपालकों की लापरवाही न केवल मवेशियों के लिए हानिकारक है, बल्कि यह बड़े हादसों का कारण भी बन सकते हैं।
पशुपालक होने के नाते उनकी जिम्मेदारी बनती है कि अपने मवेशियों की सुरक्षा करें। उन्हें ऐसे स्थानों पर नहीं छोड़ें, जहां उनकी जान को खतरा है। इस तरह मवेशियों को खुला छोडऩे (Cattles cut by train) से सडक़ों पर दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। इससे जनहानि और यातायात में बाधा उत्पन्न होती है। पशुपालक अपने मवेशियों की देखभाल करें, जिससे सडक़ दुर्घटनाओं की रोकथाम होगी।