यह भी पढें : Sawan 2023 : छत्तीसगढ़ में अनूठा कीर्तिमान ! 47 दिन में हुआ 5 लाख पार्थिव शिवलिंग का निर्माण, प्रेमकांत बताते हैं कि लाकडाउन के दौरान काम छूट गया। ऐसे में उनकी और परिवार की आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई पर हार नहीं मानी। इस दौरान उन्हें मशरुम उत्पादन में अच्छी आय के बारे में जानकारी हुई। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से मशरुम उगाने की विधि समेत सारे प्रक्रिया को ध्यान से देखा-सीखा और रिचर्स किया।
यह भी पढें : Green Energy : मानव सभ्यता को बचाए रखने के लिए बेहद जरूरी है क्लीन एनर्जी, पेट्रोल – डीजल के इस्तेमाल से पृथ्वी को पहुंच रहा नुकसान शुरुआत करने के लिए बाजार से रकम भी उधार ली। धीरे-धीरे लोगों तक जानकारी पहुंची और मशरुम की डिमांड बढ़ती गई और अच्छी खासी सेलिंग होने लगी। इससे अब वह कर्ज चुकाने के साथ-साथ हर महीने लाखों रुपए कमाकर अपना और अपने परिवार की जरूरत पूरी कर रहे हैं।
शर्मा ने बताया कि कोरोना काल में उसकी स्थिति काफी खराब होने की वजह से वह बाहर नौकरी करने की सोच रहा था पर उसने यू-ट्यूब से मशरुम उत्पादन करने की तकरीब सीखकर गांव में रहकर बेहतर आय का जरिया खोज लिया इस काम से उसके घर वाले भी काफी खुश हैं और काम में पूरा हाथ बंटाते हैं। प्रेमकांत का कहना है कि इस काम को वह बडे पैमाने पर करना चाहते हैं। अगर शासन प्रशासन से थोड़ी मदद मिल जाती तो वे अपना व्यवसाय और बढ़ा सकते हैं।