जिले में नव पदस्थ डीईओ सतीश पाण्डेय ने भी कार्यभार ग्रहण करते ही जिले के स्कूलों में प्रयोग शुरू कर दिए हैं। 16 तरह की सिर्फ कमेटी है। हर कमेटी में हाई, हायर सेकेण्डरी सहित मिडिल व प्रायमरी स्कूलों के शिक्षकों को मिलाकर कुल 10 सदस्य हैं। इन 16 कमेटियों की एक कोर कमेटी भी है जो अन्य सभी की मॉनिटरिंग करेगी। हालांकि इन कमेटियों से जुडऩे के लिए किसी शिक्षक पर कोई दबाव नहीं बनाया गया है। सीएसी व शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष तरूण राठौर ने बताया कि संकुल स्तर पर भी साप्ताहिक बैठक से लेकर चौपाल लगाने के निर्देश गए हैं।
दलील यह है कि सभी मीटिंग व ट्रेनिंग छुट्टी या स्कूल के बाद कराई जा रही है। जबकि धरातल की सच्चाई यह है कि ज्यादातर प्राचार्य निष्क्रीय हैं। जिनका अपने स्टाफ पर ही कोई कंट्रोल नहीं है। ट्रेंनिंग वाले दिन कोरबा आने की बात बताकर गुरूजी पूरे दिन स्कूल से छुट्टी ले लेते हैं। ऐसे में जिस गुणवत्ता के लिए यह तमाम कवायद की जा रही है। उस पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया है।
इस तरह बना शेड्यूल
जिले में ट्रेनिंग पर कलेक्टर की रोक है। इसलिए साडा कन्या में सभी शिक्षकों को बैठक के नाम पर बुलाया जाता है। लेकिन वास्तव में यहां होती ट्रेनिंग ही है। दो हफ्तों तक प्रचार्यों की बैठक हो चुकी है। हाई व हायर सेकेंडरी के प्राचार्यों को अलग-अलग पाली में बुलाया गया था। इसके बाद विषयवार व्याख्याताओं की बैठक 22 सितंबर से 6 अक्टूबर तक तो मिडिल और प्रायमरी स्कूल के प्रधान पाठकों के लिए दिन व समयवार शेड्यूल तय किया गया है। हालांकि निर्वाचन विभाग से चुनाव की ट्रेनिंग होने के कारण कुछ नए शेड्यूल भी तैयार किए जा रहे हैं।
-डीईओ द्वारा किसी तरह की बैठक के शेड्यूल व ट्रेनिंग की जानकारी नहीं मिली है। पूर्व में अध्यापन कार्य प्रभावित ना हो इसी उद्देश्य से शिक्षकों की सभी तरह की ट्रेनिंग व बैठकों पर रोक लगाई दी गई थी। इस संबंध में पुन: जानकारी ली जाएगी।
-मो. कैसर अब्दुल हक, कलेक्टर