यह भी पढ़ें : CG Assembly Election 2023 : पिछले दो विधासभा चुनाव में तीसरे नंबर पर रहा नोटा, कई प्रत्याशियों पर पड़ा भारी केंद्र सरकार ने क्षय पर नियंत्रण पाने के लिए 2025 तक लक्ष्य रखा है। राज्य शासन का लक्ष्य वर्ष दिसंबर 2023 तक क्षय मुक्त बनाने का है, लेकिन जिले में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण का असर लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। जिले में कोयला खदान से प्रभावित होने के साथ ही जर्जर सड़क पर तेजरफ्तार में दौड़ती भारी वाहनों की वजह से धूल के गुबार और राखड़ आबोहवा को अधिक प्रदूषित कर रहे हैं। इस कारण टीबी रोग के मरीजों का आकड़े कम नहीं हो रहे हैं। दरअसल क्षय रोग प्रदूषण, गदंगी और एक व्यक्ति के ग्रसित होने पर दूसरे व्यक्ति के बार-बार संपर्क में आने से होती है।
यह भी पढ़ें : Crime News : फर्जी हस्ताक्षर से 18 लाख का गबन करने वाला पंचायत सचिव निलंबित क्षय रोग होने का खतरा प्रतिरोधात्मक क्षमता कम होने वाले व्यक्ति पर होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए इसे हवा में फैलने वाली बीमारी भी कहा जाता है। स्वास्थ्य विभाग के आठ वर्षो के आंकड़ा देखें तो हर साल औसतन दो हजार के आसपास क्षय से ग्रसित मरीज सामने आ रहे हैं। इसमें से सबसे अधिक मरीज गेवरा, कुसमुंडा सहित अन्य खदान प्रभावित क्षेत्र के हैं। स्वास्थ्य विभाग के सामने प्रदूषण के बीच जिले को क्षय मुक्त करने को लेकर चुनौती बनी हुई है। कोरोनाकाल में जांच की सुविधा बंद होने की वजह से परीक्षण नहीं हो पाया था बाद में 8741 लोगों की जांच हुई इसमें में 1336 मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। हालांकि इसमें से कुछ मरीज अब ठीक हो गए हैं।
वर्ष सैंपल मरीज 2016 18938 2055 2017 15671 1759 2018 16916 1835 2019 15517 2013 2020 7734 1417 2021 8741 1336 2022 21627 1786 2023 15703 1375
यह भी पढ़ें : CG Assembly Election 2023 : जगदलपुर और चित्रकोट विधान सभा के लिए पहले दिन खरीदे 6 पर्चा पत्र
स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरबा जिला का क्षयमुक्त करने के लिए समय-समय पर टीबी अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान टीबी के लक्षण वाले मरीजों की जांच की जा रही है। इसके अलावा टीम की ओर से प्रदूषित और खदान प्रभावित क्षेत्रों में लोगाें का जांच किया जा रहा है। टीबी से नियंत्रण पाने को लेकर विभाग पर दबाव है। ऐसे में विभाग अब धीरे-धीरे अभियान को विस्तार करते हुए टीबी से ग्रसित मरीज के साथ रहने वाले परिवार के सदस्यों को भी दवाई देने की शुरूआत की गई है। इससे संक्रमण के फैलने में कमी आएगी।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरबा जिला का क्षयमुक्त करने के लिए समय-समय पर टीबी अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान टीबी के लक्षण वाले मरीजों की जांच की जा रही है। इसके अलावा टीम की ओर से प्रदूषित और खदान प्रभावित क्षेत्रों में लोगाें का जांच किया जा रहा है। टीबी से नियंत्रण पाने को लेकर विभाग पर दबाव है। ऐसे में विभाग अब धीरे-धीरे अभियान को विस्तार करते हुए टीबी से ग्रसित मरीज के साथ रहने वाले परिवार के सदस्यों को भी दवाई देने की शुरूआत की गई है। इससे संक्रमण के फैलने में कमी आएगी।
कोरबा में प्रदूषण की समस्या अधिक है। यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानीकारक है। इस कारण टीबी के मरीज ज्यादा सामने आ रहे हैं। इसके लिए सरकारी अस्पताल में मरीजों को निर्धारित अवधि के लिए नि:शुल्क दवाईंया उपलब्ध कराई जा रही है। लक्षण मिलने पर तत्काल चिकित्सकीय सलाह लेने से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।
– डॉ. शशिकांत भास्कर, छाती रोग विशेषज्ञ, कोरबा
ये है लक्षण ●भूख नहीं लगना। ● रात में पसीना आना। ●वजन कम होना। ●दो सप्ताह से खासी बुखार आना।
ये है लक्षण ●भूख नहीं लगना। ● रात में पसीना आना। ●वजन कम होना। ●दो सप्ताह से खासी बुखार आना।