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CG Coal News: बगदेवा में कोयले के स्टॉक से उठ रहा धुंआ, 700 से अधिक मेन पावर को बिठाकर वेतन

कोरबा में एक महीने बाद भी स्टॉक में आग लगने से कोयला कंपनी आग को बुझा नहीं पाई है। बता दे कि कंपनी इस खदान में कार्यरत लगभग सात सौ से अधिक मैन पावर का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है।

कोरबाAug 24, 2024 / 12:54 pm

Shradha Jaiswal

CG Coal News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में खदान से कब तक उत्पादन शुरू होगा? यह बताने की स्थिति में भी कंपनी का स्थानीय प्रबंधन नहीं है। इस बीच खदान के उत्पादन में नहीं आने से प्रबंधन पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है। कंपनी इस खदान में कार्यरत लगभग सात सौ से अधिक मैन पावर का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है। मजदूरों का बैठाकर वेतन भुगतान करने की स्थिति निर्मित हुई है।
एसईसीएल की बगदेवा अंडरग्राउंड कोयला खदान का संचालन कोरबा एरिया से किया जाता है। पिछले माह 23 जुलाई को खदान के स्टॉक में आग लग गया था। स्टॉक के नीचे कोयला धधक रहा था और उपर से धुंआ उठ रहा था। जिस स्थान पर कंपनी ने बगदेवा खदान में कोल स्टॉक बनाया है। उसके ठीक सामने से खदान के भीतर जाने के लिए रास्ता है। पास में ही वेंटिलेशन फैन है। जिसका इस्तेमाल खदान के भीतर से हवा खींचने के लिए किया जाता है।
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CG Coal News: 23 तारीख से बगदेवा के कोल स्टॉक में सुलग रहा आग

बता दे कि पिछले माह की 23 तारीख से बगदेवा के कोल स्टॉक में आग सुलग रहा है। हालांकि प्रबंधन ने आग के काफी बडे़ हिस्से पर काबू पा लिया है। लेकिन कोयले के स्टॉक में लगी आग अभी बुझाई नहीं जा सकी है। इससे कंपनी को दोहरा नुकसान हो रहा है। एक तरफ स्टॉक में रखा कोयला बाहर नहीं जा रहा है, तो दूसरी ओर बगदेवा खदान में कोयला खनन एक माह से बंद है। कंपनी अपने 700 से अधिक मैन पावर का इस्तेमाल कोयला खनन के लिए नहीं कर पा रही है। इसका असर कंपनी के आर्थिक हितों पर पड़ रहा है।

20 हजार टन से अधिक कोयला जलने की संभावना

बताया जाता है कि जिस समय बगदेवा खदान के स्टॉक में आग लगा था, उस समय यहां पर 50 से 60 हजार टन कोयला रखा गया था। आग लगने से अभी तक 20 हजार टन से अधिक कोयला जलकर राख हो चुका है। प्रबंधन ने भारी मशीनों की मदद से कोयले के उस हिस्से को उठाकर अलग कर लिया है। जिसमें आग नहीं लगा था। अब इस कोयले को बाहर ले जाने की चुनौती है।

मानिकपुर सीएचपी तक लाने किया जा रहा विचार-विमर्श

बताया जाता है कि पूर्व में बगदेवा के स्टॉक से कोयला सुरकछार रेल साइडिंग तक पहुंचता था। यहां सीएचपी में तोड़ा जाता था फिर रेल रैक में भरकर आगे भेजा जाता था। वर्तमान में सुराकछार साइडिंग बंद है। इस स्थिति में बगदेवा से कोयला को उठाकर कंपनी मानिकपुर सीएचपी में लाकर तोड़ने की योजना पर विचार-विमर्श कर रही है। ताकि स्टॉक बाहर भेजा जा सके।

खदान के भीतर ऑक्सीजन का स्तर कम होने का खतरा इसलिए नहीं भेजे जा रहे कर्मचारी

कंपनी से जुडे़ एक अधिकारी ने बताया कि स्टॉक से धुंआ उठ रहा है। इस स्थिति में खदान से कोयला खनन किया जाता है तो यह कोयला मजदूरों के लिए जोखिम भरा हो सकता है। स्टॉक से उठ रहा धुंआ वेंटिलेशन फैन के रास्ते भीतर घुस सकता है और इससे खदान के अंदर ऑक्सीजन का स्तर कम होने की आशंका है। इस स्थिति में कर्मचारियों से खदान में काम लिया जाता है तो उनके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इस कारण कंपनी ने लगभग सभी मैन पावर को खदान के भीतर से बाहर कर दिया है। अंदर में सुरक्षा उपकरणों के साथ पंप ऑपरेटर और इलेक्ट्रिकल से जुडे़ कर्मचारियों को ही भेजा जा रहा है। ताकि खदान में बारिश के दिन में जल स्तर का नहीं बढे़ और अन्य सेवाएं बाधित नहीं हो।
एसईसीएल की अंडरग्राउंड खदाने उत्पादन संकट से जूझ रही है। सुराकछार, बल्गी और सिंघाली के बाद अब बगदेवा खदान उत्पादन से बाहर है। एक माह का समय गुजर गया है। लेकिन बगदेवा के कोल स्टॉक में लगे आग को कंपनी का प्रबंधन बुझा नहीं सका है। स्टॉक से अभी भी धंआ उठ रहा है। खदान में लगने वाले वेंटिलेशन फैन के जरिए धुंआ के खदान के भीतर जाने की आशंका है। इसे ध्यान में रखते हुए कंपनी ने कोयला खनन बंद कर दिया है।

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