अपने तरह के इस पहले मामले को लेकर गुरुवार को सुबह से लेकर दोपहर तक लगभग पांच घंटे अफसर व जवान हलाकान रहे। जैसे मालगाड़ी में संदिग्ध वस्तु होने की जानकारी मिली वैसे ही एक-एक कर सारे अफसर मौके पर पहुंचने लगे लेकिन मालगाड़ी के डिब्बे के नजदीक जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी,क्योंकि मालगाड़ी में बम होने की खबर हवा में तैर रही थी। इसलिए पुलिस व संबंधित अधिकारी पूरी तरह से सुरक्षा मानकों का ख्याल रखते हुए इस संदिग्ध वस्तु की जांच के लिए व्यवस्था कर रहे थे।
कोल साइडिंग से मालगाड़ी को करीब एक किलोमीटर दूर सुनसान स्थान पर ले जाकर खड़ा किया गया। बिलासपुर स्थित रेलवे सुरक्षा बल के कार्यालय को पूरी घटना की जानकारी दी गई।
कोल साइडिंग से मालगाड़ी को करीब एक किलोमीटर दूर सुनसान स्थान पर ले जाकर खड़ा किया गया। बिलासपुर स्थित रेलवे सुरक्षा बल के कार्यालय को पूरी घटना की जानकारी दी गई।
बिलासपुर से सुबह लगभग सात बजे रेलवे का बम डिस्पोजल दस्ता कुसमुंडा के लिए रवाना हुआ। करीब ११ बजे टीम घटना स्थल पर पहुंची। कड़ी सुरक्षा के बीच बोगी से बाक्स को बाहर निकाला गया। इसमें चार गोले मिले। ये गोले ८१ एमएम मोर्टार के थे। इसे एक बाक्स को चार भाग में बांटकर रखा गया था। बम डिस्पोजल दस्ते ने मोर्टार के गोले को पुलिस के हवाले कर दिया है। इधर, गुरुवार सुबह शहर में यह खबर फैल गई कि मालगाड़ी के डिब्बे में बम है। इससे आसपास लोगों में दहशत बन गई और अधिकारी भी हलाकान रहे। लेकिन जांच के बाद यह अफवाह दोपहर को झूठी साबित हुई।
जब बम डिस्पोजल दस्ते ने मोर्टार का गोला होने की पुष्टि की। इसके बाद अधिकारियों ने राहत की सांस ली और वे अब इस पूरे घटनाक्रम से जुड़े दस्तावेज व गोले संबंधित जांच अधिकारी को सौंपने की तैयारी में हैं। माना जा रहा है कि शनिवार तक यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी एसईसीएल प्रबंधन चौकन्ना हो गया है।
सेना कर रही थी तलाश- जांच के दौरान पुलिस को जानकारी मिली है कि मोर्टार के गोले रास्ते में गुम हो गए थे। इस घटना की सूचना झांसी जीआरपी को दी जा चुकी है। जीआरपी मामले की जांच भी कर रही है। इस बीच कोरबा में गोले मिलने की जानकारी के बाद जीआरपी मोर्टार के गोले अपने कब्जे में लेने के लिए कोरबा के लिए रवाना हो चुकी है।
अफसर पहुंचे मौके पर- सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, आरपीएफ और सीआईएसएफ के अधिकारी पहुंचे। इसमें आपीएफ के डीएसपी भवानी शंकर नाथ, कुसमुंडा थानेदार एमबी पटेल और सीआईएसएफ के अधिकारी थे। सुरक्षागत कारण से बोगी के पास लोगोंं को जाने से रोक दिया गया था। जांच के दौरान सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई थी। इसके बाद भी स्थानीय लोगों में जानने की उत्सुकता बनी हुई थी।