सबसे पहले प्रबंधन की योजना कुसमुंडा खदान से प्रभावित ग्राम जटराज के लोगों को यहां पर बसाने की है। प्रबंधन ने खदान के लिए जटराज में रहने वाले लगभग 150 खातेदारों की जमीन का अधिग्रहण किया है। जमीन बदले मुआवजा का भुगतान कर दिया है। जबकि अधिग्रहण से प्रभावित होने वाले खातेदारों को आवास के लिए नया भू- खंड उपलब्ध कराने पर पेंच फंसा हुआ है। लोगों को पुनर्वास के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है। इससे एसईसीएल प्रबंधन परेशान है। कंपनी ने बसाहट के लिए ओवरबडन इलाके में ३५ एकड़ जमीन का चिन्हांकन किया है।
गौरतलब है कि बसाहट और रोजगार की मांग को लेकर खदान से प्रभावित लोग कई बार महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव कर चुके हैं। उत्पादन भी बाधित करा चुके हैं।
गौरतलब है कि बसाहट और रोजगार की मांग को लेकर खदान से प्रभावित लोग कई बार महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव कर चुके हैं। उत्पादन भी बाधित करा चुके हैं।
500 परिवारों के लिए जगह
बताया जाता है कि बरमपुर के ओवरबडन को समतल करने के बाद एसईसीएल प्रबंधन लगभग 500 लोगों को बसाहट उपलब्ध करा सकता है। जटराज के बाद दूसरे चरण में ग्राम बरकुटा और पाली पड़निया के लोगों को बसाने की योजना है।
बताया जाता है कि बरमपुर के ओवरबडन को समतल करने के बाद एसईसीएल प्रबंधन लगभग 500 लोगों को बसाहट उपलब्ध करा सकता है। जटराज के बाद दूसरे चरण में ग्राम बरकुटा और पाली पड़निया के लोगों को बसाने की योजना है।
प्रबंधन के पास जमीन की कमी
बताया जाता है कि एसईसीएल प्रबंधन के पास बसाहट के लिए जमीन की कमी है। कंपनी की खाली पड़ी जमीन पर बाहरी लोगों ने कब्जा कर लिया है। इसपर मकान बना लिया है। कब्जा को हटाना प्रबंधन के लिए मुश्किल है। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रबंधन ने ओवरबडन को समतल करके बसाहट उपलब्ध कराने का निर्णय निया है।
बताया जाता है कि एसईसीएल प्रबंधन के पास बसाहट के लिए जमीन की कमी है। कंपनी की खाली पड़ी जमीन पर बाहरी लोगों ने कब्जा कर लिया है। इसपर मकान बना लिया है। कब्जा को हटाना प्रबंधन के लिए मुश्किल है। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रबंधन ने ओवरबडन को समतल करके बसाहट उपलब्ध कराने का निर्णय निया है।
खदान विस्तार में दिक्कत
कुसमुंडा खदान ग्राम जटराज तक पहुंच गया है। यहां से खदान को आगे बढ़ाने के लिए गांव को हटाना प्रबंधन के लिए जरुरी है। लेकिन बसाहट के बिना गांव के लोग अपना घर द्वार छोड़ने को तैयार नहीं है। इससे खदान विस्तार में बाधा आ रही है।
कुसमुंडा खदान ग्राम जटराज तक पहुंच गया है। यहां से खदान को आगे बढ़ाने के लिए गांव को हटाना प्रबंधन के लिए जरुरी है। लेकिन बसाहट के बिना गांव के लोग अपना घर द्वार छोड़ने को तैयार नहीं है। इससे खदान विस्तार में बाधा आ रही है।
गेवरा को पीछे छोड़ देगा कुसमुंडा
आने वाले दिनों में कुसमुंडा खदान का विस्तार किया जाना है। इसकी सालाना उत्पादन क्षमता गेवरा से अधिक होगी। वर्तमान में स्थानीय प्रबंधन जमीन की कमी से जूझ रहा है। अब इसे दूर करने के लिए कोशिश शुरू की गई है। दो दिन पहले कलेक्टर के साथ आयोजित बैठक में भी कंपनी की ओर से जमीन की किल्लत का मामला उठाया गया था।
आने वाले दिनों में कुसमुंडा खदान का विस्तार किया जाना है। इसकी सालाना उत्पादन क्षमता गेवरा से अधिक होगी। वर्तमान में स्थानीय प्रबंधन जमीन की कमी से जूझ रहा है। अब इसे दूर करने के लिए कोशिश शुरू की गई है। दो दिन पहले कलेक्टर के साथ आयोजित बैठक में भी कंपनी की ओर से जमीन की किल्लत का मामला उठाया गया था।