Makar Sankranti 2025: मंगलवार को मनाई जाएगी मकर संक्रांति
इस दिन से सूर्य दक्षिणायान से उत्तरायण में आ जाते हैं। इस मकर संक्रांति पर खास तरह के संयोग बन रहे हैं, जो दान, स्नान और जप करने का महत्व बढ़ जाता है। मकर संक्रांति पर पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इसका विशेष महत्व है। यह योग मंगलवार की सुबह 10.17 बजे समाप्त होगी। इसके बाद पुष्य नक्षत्र की शुरूआत होगी।
पुष्य नक्षत्र मंगलवार को सुबह 10.17 से प्रारंभ होगी। समाप्ति बुधवार सुबह 10.28 पर होगी। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं। इस नक्षत्र में काले तिल का दान करने से श्रद्धालुओं के लिए लाभकारी होगा।
मकर संक्रांति का पुण्य काल सुबह 9.03 बजे से शाम 05.46 बजे तक रहेगा। जबकि महापुण्य काल सुबह 9.03 बजे से सुबह 10.48 बजे तक है। यह स्नान और दान के लिए अत्यंत ही लाभकारी माना जा रहा है। ज्योतिषाचार्य दशरथी नंदन ने बताया कि मकर संक्रांति के अवसर पर तिल और वस्त्र का दान फायदेमंद होता है। विशेषकर जो साढे़साति से पीड़ित हैं, उनके लिए मकर संक्रांति पर दान-पुण्य करना अत्यंत ही लाभकारी होगा।
तिल, गुड़, दही और चूड़ा दान का होता है विशेष महत्व
मकर संक्रांति पर्व पर विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग मान्यताएं हैं। इस दिन काला तिल, गुड़, दही, चूड़ा व खिचड़ी खाने की परंपरा है। घर-घर तिल लड्डू सहित अनेक स्वादिष्ट व्यंजन बनाने बनाए जा रहे हैं। पतंग महोत्सव को लेकर बच्चे से बड़ाें में खासा उत्साह है। गली-मोहल्ले में जहां बच्चे पतंग लेकर दौड़ रहे हैं। आसमान भी में रंग-बिरंग उड़ते हुए पतंग नजर आने लगे हैं। इसी के साथ पतंग की मांग बढ़ गई है। दुकान में पतंग लेने की लोगों की भीड़ लग रही है।