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मड़वा रेल लाइन पर पहली बार दौड़ा इंजन

छत्तीसगढ़ विद्युत कंपनी के मड़वा संयंत्र के लिए बिछाई गई रेल लाइन पर पहली बार खाली इंजन दौड़ाया गया।

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Chandu Nirmalkar

May 17, 2015

the first time in Mdwa rail line ran the engine

the first time in Mdwa rail line ran the engine

कोरबा.
छत्तीसगढ़ विद्युत कंपनी के मड़वा संयंत्र के लिए बिछाई गई रेल लाइन पर पहली बार खाली इंजन दौड़ाया गया। इसी के साथ 1000 मेगावाट वाले संयंत्र के चालू होने की राह आसान हो गई है। दो साल से पॉवर प्लांट के चालू होने का इंतजार किया जा रहा है। संयंत्र का परीक्षण हो चुका है। कोयला आपूर्ति सुनिश्चित होने के बाद 500 मेगावाट की दोनों इकाइयां व्यवसायिक उत्पादन पर आ जाएगी।


रेल लाइन को चांपा व नैला स्टेशन के बीच सम्बद्ध किया गया है। 16 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाई गई है। इसके माध्यम से रेलवे द्वारा एसईसीएल की खदानों से कोयला आपूर्ति की जाएगी। रेल लाइन के परीक्षण के दौरान विद्युत उत्पादन कंपनी के एमडी एसबी अग्रवाल एवं संयंत्र के कार्यपालक निदेशक एके सिंह सहित अन्य अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे। एमडी अग्रवाल ने बताया कि मड़वा संयंत्र में 500 मेगावाट की दो इकाई स्थापित है।


इन दोनों इकाइयों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है। ऑयल से बिजली उत्पादन की जा चुकी है। कोयले की उपलब्धता नहीं होने के कारण इकाइयों का संचालन नहीं हो पा रहा था। रेल लाइन का कार्य पूर्ण होने के बाद इसे मुख्य लाइन से जोड़ा गया। वर्तमान में रेल लाइन का परीक्षण किया गया है। अब संयंत्र के लिए मालगाड़ी द्वारा कोयले की आपूर्ति शुरू की जाएगी। परीक्षण के लिए डीजल लोकोमोटिव एरावत डब्ल्यूडीजी 12975 नैला स्टेशन से चलकर परियोजना में प्रवेश किया। यह परियोजना की इकाइयों को कोयले की आपूर्ति करने का पूर्व अभ्यास है। इंजन कोयले के अनलोडिंग के लिए निर्मित ट्रेक हापर के ऊपर सफलतापूर्वक चला है।


3400 मेगावाट हो जाएगी उत्पादन क्षमता

छत्तीसगढ़ विद्युत उत्पादन कंपनी के चार संयंत्र कोरबा में स्थित हैं। हाइडल संयंत्र बांगो में स्थापित है। इन सबकी उत्पादन क्षमता 2400 मेगावाट है। मड़वा संयंत्र के चालू होने के बाद विद्युत कंपनी की उत्पादन क्षमता बढ़कर 3400 मेगावाट हो जाएगी। उत्पादन क्षमता बढऩे से प्रदेश बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगा। अभी कमी की पूर्ति सेंट्रल सेक्टर से बिजली लेकर की जाती है। मांग बढऩे पर प्रदेश के सेंट्रल सेक्टर से अधिक बिजली लेनी पड़ती है। इसके लिए कंपनी को अधिक दर चुकानी पड़ती है। पिक आवर में बिजली की मांग 3700 मेगावाट तक जा रही है। मड़वा संयंत्र चालू होने के बाद प्रदेश में बिजली की कोई कमी नहीं रहेगी। 4300 मेगावाट बिजली की उपलब्धता रहेगी।