तभी आवाज सुनकर चाचा मधु सिंह पहुंचे। उन्होंने जीवराखन को समझा-बुझाकर हटाने का प्रयास किया लेकिन जीवराखन मानने को तैयार नहीं था। वह अपने हाथ में सब्बल लेकर बार-बार पिता पर हमले की कोशिश कर रहा था। विवाद इतना बढ़ गया कि मानसिंह को गुस्सा आया और उन्होंने अपने पुत्र जीवराखन से सब्बल को छीन लिया और उससे तीन-चार बार सिर पर मारा। सब्बल से जीवराखन के सिर में गंभीर चोटें आई और वह जमीन पर गिर गया। उसका खोपड़ी फट गया। थोड़ी ही देर में जीवराखन की मौत हो गई। देर रात पुलिस को मामले की जानकारी मिली। घटना स्थल पर पहुंची पुलिस ने हत्या के आरोप में मानसिंह को पकड़ लिया। उससे पूछताछ की गई। मानसिंह ने बेटे की
हत्या करना स्वीकार किया।
बेटे की आदत से तंग होकर माता-पिता घर छोड़कर चले जाते थे
बताया जाता है कि जीवराखन आदतन शराबी था और वह अपने माता-पिता से अक्सर पैसे की मांग करता था। पैसा नहीं देने पर उनके साथ गाली-गलौज और
मारपीट भी करता था। इससे परिवार के सदस्य परेशान थे। कई बार घर में ऐसी स्थिति बनी जब जीवराखन की आदत से तंग होकर माता-पिता घर छोड़कर बाहर चले गए। बेटे से परेशान होकर उन्होंने जमू-कश्मीर में रोजी-मजदूरी भी किया। कुछ माह बाद घर लौटने पर फिर जीवराखन उन्हें परेशान करता था।
तीन साल से पत्नी बच्चों के साथ रह रही मायके में
जीवराखन की आदत से परेशान होकर पत्नी ने भी साथ छोड़ दिया था। वह तीन साल से अपने बच्चों के साथ मायके में रह रही है। प्रारंभिक जांच के आधार पर पुलिस ने बताया कि शराब पीने पर जीवराखन परिवार में हंगामा और विवाद करता था। यही उसकी हत्या का कारण बना। पुलिस ने बेटे की हत्या के आरोप में पिता को गिरफ्तार कर लिया है। उसे कोर्ट में पेश किया गया। यहां से रिमांड पर जेल भेज दिया गया।