Korba News : खदान के आसपास रहने वालों ग्रामीणों में बढ़ती उम्र में ब्लडप्रेशर,टीबी, कैंसर और डायबिटिज सहित अन्य गंभीर बीमारियों के साथ लोग एक और बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। वह है बहरापन। इसमें सबसे अधिक 50 वर्ष से अधिक उम्र में एक साल के भीतर 530 लोगों ने सुनने की समस्या लेकर सरकारी अस्पताल पहुंचे। इनका उपचार जारी है। जिले में बड़ी संख्या में लोग कम सुनने और सुनाई नहीं देने की समस्या से जूझ रहे हैं। यह समस्या बढ़ती उम्र यानी 50 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों में अधिक देखी जा रही है। बता दें कि खदानों में चट्टानों को तोड़ने के लिए ब्लास्ट से भी सुनने की क्षमता पर प्रभावित हो रही है।
यह है वजह बुढ़़ापे में कान के पर्दे कमजोर हो जाते हैं, जहां कोक्लिया की कोशिकाएं कमजोर पडऩे से सुनने में परेशानी होती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक जिले के मेडिकल कॉलेज अस्पताल कोरबा में एक साल के भीतर कम उम्र के साथ 50 वर्ष से अधिक उम्र के 15 हजार 360 लोगों ने कान में परेशानी की समस्या लेकर आ चुके हैं। इसमें महिला व पुरूष वर्ग दोनों ही शामिल हैं। इनमें से 1125 मरीज ऐसे मिले हैं, जिन्हें बिल्कुल भी सुनाई नहीं देता है। पांच वर्ष की उम्र से लेकर 50 वर्ष से अधिक उम्र के मरीज शामिल हैं। इसे बहरापन भी कहते हैं। इसमें 530 मरीज 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोग शामिल है।
समस्या को हल्के में न लें ऑडियोलाॅजिस्ट ने बताया कि जो पहले से ब्लडप्रेशर, डायबिटिज, टीबी, कैंसर सहित कई अन्य गंभीर बीमारियों से पीडि़त हैं, वे सुनने की समस्या से शीघ्र प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा लंबे समय तक कान में संक्रमण फैलने से धीरे-धीरे सुनने की समस्या बढऩे लगती है और फिर आगे जाकर बहरेपन की बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं। एक बार समस्या शुरू होने पर तुरंत रोक पाना संभव नहीं होता। ऐसे में जरूरत है कि कान की समस्या को सामान्य न समझें, बल्कि परेशानी होने पर तत्काल चिकित्सकों से उपचार कराएं। जिससे सुनने की परेशानी दूर हो सके।
कानफोडू आवाज और इयरफोन पहुंचा रहा कान को नुकसान एक तरफ बुढ़ापे में कान की नस कमजोर होने से सुनने की समस्या बन रही है। वहीं बदलते दौर में संगीत, पढ़ाई सहित अन्य गतिविधियांं मोबाइल व इयरफोन और कानफोडू आवाज सुनना युवा वर्ग में तेजी से चलन बढ़ रहा है। यह उनके कान के लिए खतरा बन रही है। वे इयरफोन से तेज आवाज सुनना पसंद कर रहे हैं। यह पसंद उनके कानों को नुकसान पहुंचा रहा है। आंकड़े बता रहे हैं कि 16 से 50 वर्ष तक के लोगों में भी बहरेपन की शिकायत अधिक है।
एक साल के भीतर इतने लोगों ने खोई श्रवण क्षमता वर्ष महिला पुरूष 6 से 15 वर्ष 38 57 16 से 50 वर्ष 261 239 50 वर्ष से अधिक 288 242
नोट: यह आंकड़ा वित्तीय वर्ष 2022-23 की है। ढलती उम्र के साथ ही व्यक्ति कई तरह की बीमारियोंं से ग्रसित होने लगता है। स्वास्थ्य का असर कान को भी प्रभावित करता है। लेकिन इसे लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं। विलंब होने पर बहरेपन की समस्या आ जाती है। ऐसे में जरूरत है कि सुनने में किसी तरह की परेशान हो तो चिकित्सक से उपचार कराएं और श्रवण यंत्र का नियमित रूप से उपयोग करें। इससे श्रवण समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
– डॉ. ज्योति बाला,ऑडियोलॉजिस्ट मेडिकल कॉलेज कोरबा