कोरबा

दुनिया के सबसे महंगे इंजेक्शन से ही बच पाएगी 14 महीने की सृष्टि की जान, कीमत है 22 करोड़

– सृष्टि के पिता ने पीएम और सीएम दोनों से की मदद की मांग- 22 करोड़ से ज्यादा की कीमत है एक इंजेक्शन की
 

कोरबाFeb 13, 2021 / 04:02 pm

Ashish Gupta

कोरबा. मुंबई की बच्ची तीरा कामत की तरह ही दुर्लभ बीमारी (Korba Baby Girl Suffering from Rare Disease) का दूसरा मामला कोरबा में सामने आया है। 14 महीने की सृष्टि रानी इस बीमारी से पीडि़त है। उसको भी ठीक होने के लिए दुनिया का सबसे महंगा 22.5 करोड़ का इंजेक्शन लगाया जाना है। पीड़ित के पिता ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से सहायता की गुहार लगाई है। स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी (एसएमए) नाम की इस बीमारी से दीपका खदान में ओवरमैन सतीश कुमार की 14 माह बेटी सृष्टि रानी पीड़ित है।
काफी महीने से सृष्टि बीमार थी। स्थानीय डॉक्टर समझ नहीं पा रहे थे। दिसम्बर में टेस्ट के लिए परिवार वेल्लोर मेडिकल कॉलेज गया। परिजन सैंपल देकर वापस लौट रहे थे कि ट्रेन में ही सृष्टि की तबीयत बिगड़ गई। घर ना लाकर उसे बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। सांस लेने में तकलीफ होने पर उसे अब वेंटिलेटर के सहारे ऑक्सीजन दी जा रही है। 28 जनवरी को जब वैल्लोर से बच्ची की रिपोर्ट आई तो माता-पिता के होश उड़ गए।

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सारी दौलत बेच दूं तो भी जिंदगी का एक पल नहीं खरीद सकते
पिता सतीश कुमार ने पत्रिका से चर्चा करते हुए बताया कि 22.5 करोड़ रुपए हम सारी दौलत देकर भी उसके लिए जमा नहीं कर सकते। डॉक्टरों ने कहा है इंजेक्शन 8 से 10 महीने के भीतर हर हाल में लगाना होगा। उसने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से अपील की है कि उसकी बेटी को बचा लें। किसी भी तरह से अमेरिका से वह दवा खरीदने और मंगाने में मदद करे।

एसईसीएल ने कहा ये बीमारी हमारी सूची में नहीं
पीड़िता सृष्टि के पिता ने एसईसीएल से भी मदद की गुहार लगाई, लेकिन यह बीमारी कम्पनी में लिस्टेड ही नहीं है।

इंजेक्शन इतना महंगा क्यों है
जोल्गेंशमा इंजेक्शन स्विटजरलैंड की कंपनी नोवार्टिस तैयार करती है। यह इंजेक्शन एक तरह की जीन थैरेपी ट्रीटमेंट है। इसे स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी से जूझने वाले दो साल से कम उम्र के बच्चों को सिर्फ एक बार लगाया जाता है।

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बिलासपुर अपोलो अस्पताल के चाइल्ड रोग विशेषज्ञ डॉ. सुशील कुमार ने कहा, बच्ची की मांसपेशियों ने काम करना बंद कर दिया है, उसे स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी टाइप-1 की बीमारी है, इसका एक इंजेक्शन 2.1 मिलियन डॉलर का है जिसे अमरीका से मंगाना पड़ेगा, बच्चे की हालत बेहद खराब है। वेंटिलेटर पर रखा गया है, हालांकि बोन ट्रांसप्लांट के माध्यम से वैकल्पिक उपचार संभव है, लेकिन उसका भी खर्च काफी अधिक आएगा।

यह है तीरा का मामला
मुंबई की साढ़े पांच महीने की तीरा कामत भी इसी दुर्लभ जेनेटिक बीमारी से जूझ रही है। उसके इलाज के लिए अमरीका से 22 करोड़ रुपए का इंजेक्शन लाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। तीरा के नौकरी पेशा माता-पिता ने सोशल मीडिया के जरिए क्राउड फंडिंग से यह रकम जुटाई। केंद्र सरकार ने तीरा को बचाने की मुहिम में बड़ा सहयोग दिया है। 22 करोड़ रुपए के इंजेक्शन पर लगने वाला 6.50 करोड़ रुपए का कर माफ कर दिया। तीरा हाल ही दक्षिण मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती की गई थी।

ये है बीमारी
एसएमए से ग्रस्त मरीजों को के शरीर में प्रोटीन-एंजाइम बनाने वाला जीन नहीं होता। मांसपेशियां और तंत्रिकाएं साथ नहीं देतीं। मस्तिष्क भी काम नहीं करता। मां का दूध पीने में भी तीरा की सांस फूलने लगती है।

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