भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि सोमवार को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस बार जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र और जयंती योग का अद्भूत संयोग बन रहा है। कृतिका नक्षत्र का संयोग दोपहर 3.56 मिनट से प्रारंभ होगा। रात्रिकालीन में जयंती योग और श्रीकृष्ण जन्मोत्सव (Janmashtami 2024) के समय रोहिणी नक्षत्र का दुलर्भ संयोग रहेगा।
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ज्योतिषाचार्य दशरथी नंदन के अनुसार जयंती योग सर्वकालीन नाशक योग माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में रहेंगे। चंद्रमा का गोचर रविवार की रात्रि लगभग 10.19 बजे वृषभ राशि में होगा, जो श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के दौरान विराजमान रहेंगे। इस वजह से इस जन्माष्टी पर श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत ही लाभकारी होगा। अष्टमी तिथि का प्रारंभ सोमवार की रात लगभग 8.20 बजे से प्रारंभ होगा, जो मंगलवार की सुबह 6.35 बजे तक रहेगा। जन्मोत्सव को लेकर मंदिरों में तैयारी जोरों पर चल रही है। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर जगह-जगह दही हांडी की तैयारी को लेकर बच्चे और युवाओं में खासा उत्साह है। लोगों ने दही हांडी की तैयारी दो दिन पहले से शुरू कर दी है। वहीं मंदिरों को भी रंग-बिरंगी झालर लाइटों और गुब्बारे से सजाए जा रहे हैं।
सप्तदेव मंदिर में झांकियां रहेंगी आकर्षण का केंद्र
श्री सप्तदेव मंदिर में सोमवार को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाई जाएगी। प्रबंधन इसकी तैयारियों में जुट गई है। झांकियों को मूर्तिकारों के द्वारा सजाया जा रहा है। मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न बाल लीलाओं पर आधारित झांकियां श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा। झांकियों (Krishna Janmashtami 2024) में श्रीकृष्ण का कारावास में जन्म, वासुदेव द्वारा श्रीकृष्ण को नदी पार कराना, वकासुर का वध, कालियॉं नाग का वध, पर्वत को अपनी ऊगंली पर उठाना सहित अन्य झांकियां रहेगी। कार्यक्रम शाम चार बजे से रात्रि 1.00 बजे तक होगा। इस अवसर पर विभिन्न स्पर्धाएं आयोजित होंगी। रविवार को दोपहर तीन बजे लड्डू गोपाल सजाओ प्रतियोगिता होगी। सोमवार को श्री कृष्ण बनो प्रतियोगिता, रात्रि आठ बजे श्री श्याम भजन की प्रस्तुति, रात्रि 11 बजे से भव्य आतिशबाजी के साथ 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
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