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CG News: छात्रावास में छात्रा ने दिया नवजात को जन्म
CG News: इसके बाद हॉस्टल के कमरे में चली गई। थोड़ी देर बाद लड़की ने तबीयत खराब होने की जानकारी दी। मंगलवार सुबह 8 बजे कन्या छात्रावास की अधीक्षिका को मामले की जानकारी हुई। अधीक्षिका ने लड़की से बातचीत की तो उसने तबीयत खराब होना बताया लेकिन यह नहीं कहा कि उसने नवजात को जन्म दिया है। लेकिन लड़की के शरीर को देखकर अधीक्षिका को संदेह हुआ। इसी बीच हॉस्टल के बाहर स्थित झाड़ी से एक शिशु के रोने की आवाज आई। पास पहुंचकर देखा तो नवजात बच्ची पड़ी थी। उसे उठाकर हॉस्टल लाया गया। तब नाबालिग लड़की ने शिशु को जन्म देना स्वीकार किया। जच्चा-बच्चा को मंगलवार सुबह लगभग साढ़े नौ बजे पोड़ी उपरोड़ा अस्पताल पहुंचाया गया।
यहां पहुंचने से पहले ही बच्ची का शरीर ठंडा हो चुका था। दोनों की गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टर ने हायर सेंटर रेफर कर दिया। यहां नाबालिग लड़की की स्थिति खतरे से बाहर बताई जा रही है जबकि नवजात बच्ची को वार्मर में रखकर ऑक्सीजन दिया जा रहा है।
नवजात के शरीर में धूल और घास-फूस चिपका हुआ था
जब नवजात को छात्रावास से पास के सरकारी अस्पताल पहुंचाया गया तब डॉक्टर ने नवजात बच्ची के शरीर पर धूल और घास-फूस लगा होना पाया। बच्चे के पैरों में भी खरोंच के निशान थे। यहां प्राथमिक इलाज के बाद हायर सेंटर रेफर किया गया। इसका इलाज किया जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि नवजात शिशु की स्थिति में अभी सुधार नहीं हो रहा है। उस पर नजर रखी जा रही है।अधीक्षिका को नहीं चला पता, डीईओ ने किया निलंबित
कोरबा के एक सरकारी छात्रावास में कक्षा 11वीं में पढ़ने वाली छात्रा 7 से 8 माह के बच्चे को अपने कोख में लेकर रह रही थी। बावजूद इसके छात्रावास की अधीक्षिका को मामले की जानकारी नहीं हुई। छात्रा ने नवजात को जन्म दिया तब मामला सामने आया। इस गंभीर लापरवाही ने जिले के छात्रावासों में फैली अव्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। छात्रावासों में रहकर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। बताया जाता है कि घने जंगलों के बीच स्थित एक गांव में रहने वाली आदिवासी लड़की उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाई कर रही है। वह शिक्षा विभाग की ओर से संचालित एक 100 सीटर छात्रावास में रहती है। छात्रावास के पास ही सरकारी स्कूल है जहां लड़की कक्षा 11वीं में पढ़ाई करने के लिए जाती है। लड़की ने सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात डेढ़ से दो बजे के बीच छात्रावास की बाथरूम में बच्ची को जन्म दिया और नवजात को खिड़की से बाहर फेंक दिया।
छात्रावास की व्यवस्था पर उठे सवाल अधीक्षिका ने क्यों नहीं दी जानकारी
छात्रावास में इतनी बड़ी घटना हो गई लेकिन यहां की अधीक्षिका को इसकी भनक तक नहीं लगी। अधीक्षिका को जानकारी के नाम पर केवल यह पता चला कि उसके छात्रावास में रहने वाली एक बच्ची की तबीयत खराब है। अधीक्षिका का दावा है कि जानकारी मिलने के बाद वह छात्रा को देखने खुद गई थी तब छात्रा ने उसे बताया था कि दस्त हो रहा है। लेकिन अधीक्षिका को छात्रा के हाव-भाव से लगा कि मामला कुछ अलग है तब उसने छात्रा से और अधिक जानकारी ली, तब छात्रा ने मासिक धर्म की बात कही। अधीक्षिका का दावा है कि वह छात्रा को लेकर अस्पताल जाने की तैयारी कर रही थी इसी बीच उसे हॉस्टल के बाहर से एक नवजात शिशु के रोने की आवाज आई, तब उसने छात्रावास के कर्मचारियों से खोजबीन कराया। हॉस्टल परिसर में नवजात बच्ची पड़ी हुई थी। अधीक्षिका को समझ में आया कि नाबालिग छात्रा ने ही नवजात को जन्म दिया है, तब वह दोनों को लेकर पास के सरकारी अस्पताल पहुंची।
सवालों के घेरे में अधीक्षिका, जांच में बाहर आएगी सच्चाई
छात्रा ने 7-8 माह तक बच्ची को अपने कोख में रखा लेकिन इसकी जानकारी अधीक्षिका को कैसे नहीं हुई यह अपने आप में बड़ा सवाल है। चर्चा है कि अधीक्षिका छात्रावास में कम और बाहर ज्यादा रहती थी इस कारण उसका हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं से संपर्क कम था। छात्रा के अनुसार उसने छात्रावास में रात्रि डेढ़ से दो बजे के बीच बच्ची को जन्म दिया फिर अधीक्षिका को सुबह 8 बजे इसकी जानकारी हुई यह भी कई सवाल खड़ा कर रहा है। इस अवधि में अधीक्षिका कहां थी? और छात्राएं किसकी निगरानी में यहां रह रही थीं। अधीक्षिका ने अपने बचाव में बताया कि शीतकालीन छुट्टी के बाद छात्रा 4 जनवरी को छात्रावास में दोबारा कदम रखा। इस दिन भी अधीक्षिका को जानकारी नहीं हुई यह भी चौकाने वाली बात है। अब जिला प्रशासन छात्रावास में हुई इस गंभीर मामले की जांच कर रहा है। उम्मीद है कि इससे सच्चाई सामने आएगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी।
शिक्षा विभाग के अधीन संचालित होने वाले एक कन्या छात्रावास में 17 साल की नाबालिग लड़की ने शिशु को जन्म दिया। साक्ष्य छिपाने के लिए लड़की ने शिशु को बाथरूम की खिड़की से बाहर झाड़ियों में फेंक दिया। मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। बच्चा-जच्चा को कोरबा के एक सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया है।
हॉस्टल में नवजात को जन्म
कोरबा के जिला शिक्षा अधिकारी तामेश्वर उपाध्याय ने कहा की छात्रा ने हॉस्टल में नवजात को जन्म दिया है। इसकी जानकारी मिलने पर अधीक्षिका को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। मामले की जांच का निर्णय लिया गया है। मामले की विभागीय जांच शुरू की गई है। कोरबा मेडिकल कॉलेज हास्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश वर्मा ने कहा की बच्ची का जन्म समय से पहले हुआ है। बच्ची 7-8 माह तक मां के गर्भ में रही है। बच्ची को वार्मर यूनिट में रखा गया है। ऑक्सीजन दिया जा रहा है। स्थिति नाजुक बनी हुई है। इलाज किया जा रहा है।